उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय हुए
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में कई अहम निर्णय लिये गये. जिसमें नोएडा में मेट्रो के विस्तार की भी योजना है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (फाइल फोटो) |
नोएडा और ग्रेटर नोएडा की यातायात व्यवस्था को सुचारु और सुगम बनाने के लिये मेट्रो परियोजना पर अमल के सम्बन्ध में प्राधिकरणों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों अथवा नोएडा बोर्ड को अधिकृत किया गया है. नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा के बीच यातायात को बेहतर बनाने के लिये वे अपने स्तर से कार्यवाही शुरू करेंगे.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिये गये. मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बैठक में लिये गये निर्णयों के बारे में संवाददाताओं को बताया कि इसके लिये लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन की तर्ज पर एक निगम बनाया जाएगा. बीएमआरसी कम्पनी इस कार्य को करायेगी. इस पर 5533 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके अलावा नोएडा के सेक्टर 32 से सेक्टर 62 को जोड़ने के लिये भी मेट्रो की 1880 करोड़ रुपये की कार्ययोजना को भी मंत्रिपरिषद ने स्वीकृति दे दी है.
रंजन ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में 10 करोड़ रुपये से ऊपर के भवनों के निर्माण के लिये ‘फिक्स्ड प्राइस कांट्रैक्ट’ प्रणाली लागू करने का फैसला किया है. सरकारी परियोजनाओं में कई बार ऐसा देखा गया है कि समय से पूर्ण नहीं होने के कारण परियोजनाओं की लागत बढ़ जाती है. प्रयोग के तौर पर शुरू की जा रही और केवल भवन निर्माण पर लागू होने वाली इस प्रणाली के तहत कार्यदायी संस्था को एक समयसीमा दी जाएगी और निविदा में इसका स्पष्ट जिक्र किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने राज्य के स्थायी मान्यता प्राप्त 146 मदरसों को अनुदान सूची में शामिल करने का महत्वपूर्ण निर्णय भी लिया है.
मुख्य सचिव ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डेंटल मैकेनिक, डेंटल हाईजीनिस्ट तथा प्लास्टिक सर्जरी विभाग के मैकेनिकों और राज्य सम्पत्ति विभाग के टेलीफोन आपरेटरों को बेहतर ग्रेड देने का फैसला किया गया है.
उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने भवनों की छतों पर सौर ऊर्जा उत्पादन सम्बन्धी नीति को भी मंजूरी दे दी है. यह बहुत महत्वपूर्ण है और उम्मीद है कि इसे बड़ी संख्या में लोग इस्तेमाल करेंगे. इससे ऊर्जा की बचत भी होगी.
रंजन ने बताया कि प्रदेश के सभी जिला ग्राम्य विकास अभिकरणों के कर्मचारियों की पुरानी मांग को स्वीकार करते हुए उनकी सेवानिवृत्ति की आयु को 58 से बढ़ाकर 60 साल कर दिया गया है. इससे 1115 कर्मचारी लाभान्वित होंगे.
उन्होंने बताया कि मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में कार्यरत 1700 समीक्षा अधिकारियों तथा 900 अपर निजी सचिवों को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा देने की प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी है.
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रक्रियाओं के सरलीकरण की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए मंत्रिपरिषद ने अब पांच करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं पर स्वीकृति का अधिकार सम्बन्धित मंत्री को देने का निर्णय लिया है. उसके ऊपर 15 करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं की फाइल वित्त मंत्री के पास जाएंगी और 15 करोड़ से ऊपर की पत्रावलियां मुख्यमंत्री के पास जाएंगी. अभी तक एक करोड़ या उससे ज्यादा की फाइलें मुख्यमंत्री के पास जाती थीं.
खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने के सम्बन्ध में मंत्रिपरिषद ने इस योजना के पात्रों के निर्धारण के सम्बन्ध में भी निर्णय लिया है. इसके तहत आयकर दाता तथा शहरी क्षेत्र में अपनी आय से 100 वर्ग मीटर का भूखंड लेने वाले लोग इस योजना के पात्र नहीं होंगे. अन्त्योदय तथा बीपीएल कार्ड धारकों एवं किन्नरों को इसमें शामिल किया जाएगा.
मुख्य सचिव ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने बिजली के पारेषण के क्षेत्र में अहम निर्णय लिया है. करीब 1825 करोड़ रुपये के वित्तपोषण कार्यों को अनुमोदन दिया गया है. इसके तहत 400 किलोवाट के दो उपकेन्द्र, आठ 220 किलोवाट के तथा 132 किलोवाट के 16 उपकेन्द्र स्थापित किये जाएंगे. 1825 करोड़ रुपये में से 30 प्रतिशत यानी 547 करोड़ रुपये शासकीय अंशदान होगा. यह कार्य अक्तूबर 2016 तक किये जाएंगे.
उन्होंने बताया कि एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में मंत्रिपरिषद ने राज्य के सभी नदियों और नहरों में जमा सिल्ट की सफाई के लिये निविदा मंगवाने का फैसला किया है. इससे इन जलराशियों की जलभरण क्षमता बढ़ेगी और बाढ़ से बचाव में मदद मिलेगी.
रंजन ने बताया कि इसके लिये सरकार अपनी तरफ से कोई धन नहीं खर्च करेगी बल्कि निविदा के जरिये किसी पेशेवर कम्पनी से सिल्ट की सफाई करवाएगी. सफाई के दौरान जो भी बालू निकलेगी, कम्पनी उसकी नीलामी करके आय प्राप्त कर सकेगी. खनन विभाग के कानूनों को ध्यान में रखकर ही यह कार्यवाही की जाएगी.
उन्होंने बताया कि प्रदेश में 74 हजार किलोमीटर का नहर संजाल है. अभी तक सिर्फ पांच-छह हजार किलोमीटर हिस्से की ही सफाई हो पाती है. सिल्ट की वजह से नदियों और नहरों में करीब 40 प्रतिशत कम पानी आ पा रहा है.
रंजन ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस मार्ग की निविदा के मूल्यांकन को अनुमोदन दे दिया है. उन्होंने बताया कि 11526 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना को 30 माह में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है. इसका काम अगले एक-डेढ़ माह में शुरू हो जाएगा.
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