राजस्थान : बहुत मुश्किल है प्रत्याशियों का वोटरों तक व वोटरों का बूथों तक पहुंचना
भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा राजस्थान का बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र हजारों किलोमीटर में फैला हुआ है.
राजस्थान के बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र में बहुत मुश्किल है प्रत्याशियों का वोटरों तक व वोटरों का बूथों तक पहुंचना. |
यह क्षेत्र क्षेत्रफल के लिहाज से राज्य का सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र है. यहां से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों व उनके समर्थकों का मतदाताओं तक पहुंचना आसान नहीं है.
इस क्षेत्र में बसावट छितरी हुई है. इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि आबादी का घनत्व एक वर्ग किलोमीटर में केवल 18 से 20 मतदाता हैं. इस संसदीय क्षेत्र में बाड़मेर जिले के सात तथा जैसलमेर जिले का एक विधानसभा क्षेत्र समाहित है.
सोलहवीं लोकसभा के लिए यहां 17 अप्रैल को चुनाव होना है. यहां से कांग्रेस के सांसद हरीश चौधरी, भाजपा के कर्नल सोना राम और भाजपा से निष्कासित निर्दलीय उम्मीदवार जसवंत सिंह के बीच त्रिकोणात्मक मुकाबला है. करीब 17 लाख से अधिक मतदाता वाले इस संसदीय क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा क्षेत्रों में से हाल ही में राज्य में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बाड़मेर को छोड़ कर शेष पर भाजपा काबिज है.
बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय सीट पर भाजपा सिर्फ एक बार ही चुनाव जीत पाई है. इस बार जीत के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है. लेकिन संसदीय क्षेत्र में जहां प्रत्याशियों के लिए मतदाताओं तक पहुंचने का काम मुश्किल भरा है. वहीं थार के रेगिस्तान में मतदाता को भी अपने मताधिकार के इस्तेमाल के लिए तीन से पांच किलोमीटर की दुरुह यात्रा करनी पड़ती है.
इस संसदीय क्षेत्र में कई गांव और ढाणियां ऐसी हैं जहां सिर्फ उच्च क्षमता की गाड़ियां ही पहुंच पाती हैं . कई ऐसे मतदान केंद्र हैं जहां सिर्फ ‘रेगिस्तानी जहाज’ यानि ऊंट से ही पहुंचा जा सकता है. इस विषम परिस्थितियों के बावजूद संसदीय क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत बढ़ रहा है. उम्मीदवारों और मतदाताओं के साथ साथ प्रशासनिक अमले के लिए भी इस संसदीय क्षेत्र में मतदान कराने की व्यवस्था को अंजाम देना चुनौती है.
मतदान दलों को मतदान केन्द्रों तक पहुंच कर फिर वापस जिला मुख्यालय आना बहुत ही जोखिम भरा है. कुछ मतदान केंद्र ऐसे हैं कि मतदान दलों को दुरुह रेगिस्तान पार करना पड़ता है. इस संसदीय क्षेत्र के टावरीवाला, जालूवाला, भारमसर, ठाकरावा ऐसे मतदान केंद्र है जो जिला मुख्यालय से करीब 310 किलोमीटर की दूरी पर है तो मेहराना एक ऐसा मतदान केंद्र है जहां मतदाताओं की संख्या बहुत ही कम है.
कई जगह मोबाइल मतदान केंद्र भी स्थापित किये हैं. थार के रेगिस्तान में कई स्थानों पर पक्के मकानों के अभाव में तंबुओं में भी मतदान केन्द्र स्थापित किये हैं.
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