बांग्लादेश युद्ध की इतिहासकार और भारत की इंडो-एंग्लियन लेखिका गीता मेहता का निधन

Last Updated 17 Sep 2023 06:44:20 AM IST

गीता मेहता (Geeta Mehta) आखिरी बार तब खबरों में आई थीं, जब उन्होंने 2019 में राजनीतिक कारणों से पद्मश्री लेने से इनकार (Refusal to accept Padma Shri) कर दिया था। लेखिका के रूप में वह अपने छोटे भाई नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) के ओडिशा (Odisha) के मुख्यमंत्री बनने से पहले ही मशहूर हो गई थीं।


बांग्लादेश युद्ध की इतिहासकार गीता मेहता

शनिवार, 16 सितंबर को नई दिल्ली में 80 वर्ष की आयु में उनके निधन के साथ भारत ने स्वतंत्रता के बाद की अपनी पहली पीढ़ी की इंडो-एंग्लियन लेखिका को खो दिया है, जिन्होंने युवाओं के आत्मविश्‍वास से भरे एक नए राष्ट्र के लिए बात की थी।

प्रतिष्ठित विमान चालक और सबसे चहेते उड़िया नेताओं में से एक बीजू पटनायक (Biju Patnaik) की बेटी, कैम्ब्रिज से पढ़ी-लिखी गीता मेहता ने 1970-71 में अमेरिकी टेलीविजन नेटवर्क एनबीसी के लिए तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध संवाददाता के रूप में काम किया था, यह अनुभव उन्होंने अपने एक बहुप्रशंसित लेख में दर्ज किया है। उन्‍होंने डॉक्यूमेंट्री 'डेटलाइन बांग्लादेश' भी बनाई थी।

हालांकि उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क के लिए 14 टेलीविज़न डॉक्यूमेंट्री बनाई। उन्होंने अपना समय तीन महाद्वीपों - न्यूयॉर्क, लंदन और नई दिल्ली में बिताया।

गीता मेहता को उनके पहले उपन्यास, 'कर्मा कोला' (1979) के लिए अधिक जाना गया, जिसमें पश्चिमी 'तीर्थयात्रियों' की कहानी बताई गई थी, जो मोक्ष की तलाश में भारत में आए थे, जिसके बाद कम प्रसिद्ध 'राज' (1989) आई थी। उनकी लघु कथाओं का संकलन, 'नदी सूत्र' (1993) और देश की स्वर्ण जयंती के अवसर पर तीक्ष्ण निबंधों का संग्रह, 'सांप और सीढ़ी: आधुनिक भारत की झलक' (1997) प्रकाशित है।

भारत की एकजुट पहचान की कमी ने किया निराश

गीता मेहता ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की एकजुट पहचान की कमी ने अतीत और वर्तमान के शासकों को "ऐसी भूमि को केंद्रीकृत करने के अपने प्रयासों से निराश किया है जिसका कोई केंद्र नहीं है बल्कि केवल अनुभव का क्षेत्र है"। ऐसे शब्द जिन्हें आज राजनेताओं को याद रखना अच्छा रहेगा।

गीता मेहता का विवाह 1965 में न्यूयॉर्क स्थित प्रकाशन अजय सिंह 'सन्नी' मेहता से हुआ था, जो अल्फ्रेड नॉफ्ट के प्रभावशाली प्रधान संपादक और नोपफ डबलडे पब्लिशिंग ग्रुप के अध्यक्ष थे।2019 में उनका निधन हो गया। उनके परिवार में उनके बेटे, आदित्य सिंह मेहता और उनका परिवार है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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