Manipur Violence: प्रमुख मेइती प्रतिनिधियों ने कहा- मणिपुर में शांति बहाली के लिए वार्ता की जरूरत
हिंसा प्रभावित मणिपुर में हालात सामान्य होने के लिए चल रहे प्रयासों के बीच मेइती समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधियों ने मंगलवार को शांति बहाली और मतभेद को दूर करने के लिए अन्य पक्ष से संपर्क साधने पर जोर दिया ताकि वार्ता शुरू की जा सके।
![]() मणिपुर में शांति बहाली के लिए वार्ता की जरूरत (फाइल फोटो) |
दिल्ली-मणिपुर समाज (मेइती के लिए काम करने वाला एक संगठन) द्वारा आयोजित एक चर्चा में समुदाय के प्रतिनिधियों ने कहा कि राज्य में शांति बहाली पर ध्यान देना अहम है। उन्होंने कहा कि सरकार को वार्ता के लिए नये सिरे से प्रयास करना चाहिए।
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल हिमालय सिंह (भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के रैंक तक पहुंचने वाले पूर्वोत्तर राज्य के पहले अधिकारी) ने कहा कि यह समय ‘आंख के बदले आंख’ का नहीं, बल्कि शांति बाहली का है।
सिंह ने हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘हमें साथ बैठना चाहिए और वार्ता करनी चाहिए। जब गृह मंत्री मणिपुर पहुंचे और शांति समिति का ऐलान किया तो यह एक अच्छा कदम था...उम्मीद करते हैं कि शांति समिति काम करेगी।’’
उन्होंने कहा कि यह स्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न करती है। सिंह ने कहा, ‘‘भूराजनीतिक रणनीति के बारे में क्या होगा? क्या चीन इच्छुक है? मैं नहीं जानता।’’
सिंह ने यह भी सुझाव दिया कि कुकी विधायकों से भी वार्ता होनी चाहिए।
मणिपुर के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप फानजौबन ने कहा, ‘‘नफरत के दुष्चक्र को तोड़ने की जरूरत है। हमें यह देखकर शुरुआत करनी होगी कि दूसरी तरफ पहुंचने का रास्ता क्या है। कानून-व्यवस्था को पटरी पर वापस लाना होगा। अंततः हम पहले नागरिक हैं, पहचान एक निजी मामला है, यह सार्वजनिक मामला नहीं है। आप चर्च को राजनीति से अलग करते हैं, यही धर्मनिरपेक्षता है।’’
चर्चा का संचालन करने वाली आईआरएस अधिकारी बनिता देवी नाओरेम ने कहा कि मणिपुर ‘जल रहा है और इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है’।
इस बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पूर्व सलाहकार रजत सेठी ने कहा कि शांतिपूर्ण पूर्वोत्तर भारत के हित में है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग ‘निहित स्वार्थ’ के लिए अशांति पैदा करना चाहते हैं।
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