Manipur Violence: कुकी जनजाति ने आर्मी प्रोटेक्शन की मांग की, सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से किया इनकार

Last Updated 20 Jun 2023 11:55:15 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जातीय हिंसा के बीच अल्पसंख्यक कुकी आदिवासियों के लिए सैन्य सुरक्षा के अनुरोध वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से मंगलवार को इनकार कर दिया।


न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि यह पूरी तरह कानून व्यवस्था से जुड़ी परिस्थिति है।

वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस ने एनजीओ ‘मणिपुर ट्राइबल फोरम’ की ओर से मामले का उल्लेख किया।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां मौके पर हैं। उन्होंने तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का विरोध किया।

शीर्ष अदालत ने मामले में सुनवाई के लिए तीन जुलाई की तारीख तय की।

‘मणिपुर ट्राइबल फोरम’ ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और मणिपुर के मुख्यमंत्री ने उत्तर पूर्वी राज्य में कुकी आदिवासियों के ‘जातीय सफाये’ के उद्देश्य से समान एजेंडा चला रखा है।

संगठन ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया कि केंद्र के ‘खोखले आश्वासनों’ को नहीं माने और कुकी आदिवासियों को सैन्य सुरक्षा प्रदान की जाए।

मणिपुर में करीब डेढ़ महीने पहले मेइती और कुकी समुदायों के बीच शुरू हुई हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं। इस हिंसा में अब तक करीब 100 लोगों की मौत हुई है और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

मणिपुर में 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। आदिवासियों-नगा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में बसती है।

राज्य में शांति बहाली के लिए सेना और असम राइफल्स के लगभग 10,000 जवान तैनात किए गए हैं।

मणिपुर सरकार ने राज्य में अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए 11 जिलों में कर्फ्यू लगाने के साथ इंटरनेट सेवाओं को प्रतिबंधित कर दिया है।

 

भाषा
नई दिल्ली


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