बम्बई उच्च न्यायालय ने सोमवार को पूछा कि प्रस्तावित नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास की इमारतों के लिए ऊंचाई सीमा 55.10 मीटर से बढ़ाकर 160 मीटर करने का भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) का निर्णय अवैध और कानून का उल्लंघन क्यों है।
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मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने मुंबई हवाई अड्डे के पास की ऊंची इमारतों से उत्पन्न खतरों पर चिंता जताते हुए एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने वाले अधिवक्ता यशवंत शेनॉय को यह बताने का निर्देश दिया कि एएआई का निर्णय कानून की नजर में क्यों उचित नहीं है।
अदालत ने कहा कि शेनॉय ने मौखिक दलीलें दी हैं कि एएआई का फैसला सही नहीं है, लेकिन वह कागज पर यह दर्शाने में विफल रहे कि यह किसी भी वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन
है।
अदालत ने इस पर भी हैरानी जतायी कि हवाई अड्डे (नवी मुंबई) के निर्माण से पहले ही भवनों को निर्माण को मंजूरी दे दी गई। मुख्य न्यायाधीश दत्त ने कहा, ‘‘हमारे लिए सबसे मजेदार बात यह है कि हवाईअड्डा बनना अभी बाकी है, लेकिन इमारतें पहले बन रही हैं। आदर्श रूप से, हवाईअड्डा पहले और फिर इमारतें बननी चाहिए।’’
न्यायमूर्ति कार्णिक ने कहा, ‘‘आप (प्राधिकरण) हवाईअड्डा बनने से पहले ही सभी निर्माण कर लेना चाहते हैं। यदि आप इतनी जल्दबाजी करेंगे, तो इससे चिंता उत्पन्न नहीं होगी? विकास की जरूरत है, लेकिन लोगों को जोखिम में डालकर नहीं।’’
शेनॉय ने पिछले हफ्ते अदालत को बताया था कि एएआई ने प्रस्तावित नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास के भवनों की ऊंचाई सीमा 55.10 मीटर से बढ़ाकर 160 मीटर तक करने का फैसला किया है।
एएआई ने सोमवार को उच्च न्यायालय को बताया कि पिछले दस दिनों में उसे 55.10 मीटर से ऊंचे भवनों के निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मांगने के लिए 123 आवेदन प्राप्त हुए। उसने कहा कि 104 संरचनाओं को एनओसी दी गई है और 19 आवेदन लंबित हैं।
एएआई के हलफनामे के अनुसार, विमान अधिनियम के तहत 2015 में जारी नियम हवाई अड्डे के 20 किलोमीटर के दायरे में 55.10 मीटर से ऊंचे भवनों के निर्माण की अनुमति देते
हैं।
इसके बाद पीठ ने शेनॉय से यह बताने को कहा कि क्या यह फैसला अवैध है।
अदालत ने कहा, ‘‘यह निर्णय कानून में गलत, अवैध और रद्द करने योग्य क्यों है? हमें बताएं। क्या ऊंचाई सीमा में यह छूट वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है?’’
पीठ ने शेनॉय को यह कहते हुए "बेहतर हलफनामा" दाखिल करने का निर्देश दिया कि एएआई का फैसला अवैध क्यों है।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को तय की।
इस बीच, मुंबई हवाई अड्डे के पास पांच मंजिला एक इमारत के एक निर्माता ने मुंबई उपनगरीय कलेक्टर द्वारा जारी ध्वस्तीकरण नोटिस को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया।
इमारत 'धीरज हेरिटेज' मुंबई हवाई अड्डे के पास आठ संरचनाओं में से एक है, और इमारत के कुछ हिस्सों को ऊंचाई सीमा के उल्लंघन के लिए एक महीने के भीतर ध्वस्त किया जाना है।
पीठ ने भवन निर्माता द्वारा दायर अर्जी पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि वे एक अलग याचिका दायर कर सकते हैं।
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