पत्नी का पार्टी में शराब पीना, देर से घर आना पति के साथ मानसिक हिंसा नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट

Last Updated 02 Aug 2015 12:46:21 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पत्नी के पार्टी करने और देर से घर आने को पति के साथ मानसिक हिंसा मानने से इनकार करते हुए फैमिली कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया.


पत्नी का पार्टी में शराब पीना, देर से घर आना पति के साथ मानसिक हिंसा नहीं

महिला के पति ने दावा किया उसकी पत्नी अक्सर पार्टी में जाया करती थी और उससे बुरी तरह से पेश आती थी. हाईकोर्ट ने कहा कि सोशल कल्चर और ट्रेडिशनल चैंजेंस के कारण इस
आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता है.

फैमिली कोर्ट ने साल 2011 में इसे आधार मानते हुए दंपति की तलाक दे दिया था, लेकिन पत्नी ने जब इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी तब फैसला पत्नी के हक में आया. इसके बाद पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

नौसेनिक राजेश चावला ने हाईकोर्ट में दावा किया था कि उसकी पत्नी लेटनाइट पार्टी में जाती है और कई अवसरों पर उसके साथ बुरा व्यवहार करती है. छोटी-छोटी बातों पर दोनों के बीच विवाद होते हैं.

अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस एमएल तहिलियानी ने कहा, 'परिवेश में कुछ हद तक लोगों से घुलना मिलना जरूरी है, लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं मिला जिससे साबित हो सके कि पत्नी नशे में धुत होकर देर रात घर लौटती हो.'

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पेश किए सबूतों के आधार पर कोर्ट ने रिकॉर्ड किया है कि राजेश खुद भी पार्टियों में जाता है और एक अवसर वह अपनी महिला मित्र को भी घर लेकर आया था क्योंकि उसने (महिला मित्र) पार्टी में ज्यादा शराब पी ली थी और वह घर नहीं जा सकती थी.

कोर्ट ने कहा कि राजेश और पत्नी दोनों ही पार्टी में जाते हैं. इसलिए ये नहीं माना जा सकता कि पार्टी कर पत्नी ने राजेश को किसी तरह से मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना दी हो.

कोर्ट के फैसले पर राजेश ने कोर्ट में कहा कि पत्नी उस पर अय्याशी का आरोप लगाकर मानसिक रुप से प्रताड़ित करती है. हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों पार्टियों में जाने और मौत मस्ती के आदी है, इस वजह से हो सकता है कि दोनों के बीच किसी बात को लेकर मिस अंडरस्टैंडिंग हो गई हो. लेकिन इस बात के कोई सबूत नहीं मिले है कि राजेश के साथ हिंसा हुई हो. इसलिए इस आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता है.

राजेश चावला ने साल 2008 में तलाक की अर्जी दी थी. अर्जी पर सुनवाई करते हुए फैमिली कोर्ट ने 2011 में दंपति की तलाक दे दिया था, लेकिन पत्नी ने जब इस फैसले को एपिलेट कोर्ट में चुनौती दी तब फैसला पत्नी के हक में आया और कोर्ट ने इनकी तलाक पर रोक लगा दिया.



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