महाराष्ट्र चुनावों में 'स्वर्ण त्रिकोण' क्षेत्र में होगा पार्टियों का कड़ा इम्तिहान

Last Updated 30 Sep 2014 10:59:59 PM IST

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपना दमखम परखने के लिए उतरने वाली बड़ी पार्टियों की नजर राज्य के स्वर्ण त्रिकोण क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन पर रहेगी.


महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (फाइल फोटो)

अगले महीने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और इन बहुकोणीय मुकाबलों में अपना दमखम परखने के लिए उतरने वाली बड़ी पार्टियों की नजर राज्य के स्वर्ण त्रिकोण क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन पर रहेगी क्योंकि सरकार बनाने में इस क्षेत्र की भूमिका अहम हो सकती है.

समृद्धि की वजह से स्वर्ण त्रिकोण (गोल्डन ट्रायंगल) के नाम से पहचाने जाने वाले इस इलाके में मुंबई और पुणे तथा नासिक सहित इसका महानगरीय क्षेत्र आता है.
    
पांच जिले और 14 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में फैला यह इलाका तीन बड़े शहरों और उपनगरों को अपने में समेटे हुए है. 77 विधानसभा सीट के साथ यह स्वर्ण त्रिकोण क्षेत्र राज्य के साथ ही देश में सबसे विकसित और शहरीकृत इलाका है. इस क्षेत्र की करीब-करीब 90 प्रतिशत विधानसभा सीटें पूरी तरह से शहरीकृत है और इनमें से 63 मुंबई और इसके महानगरीय क्षेत्र में हैं.

त्रिकोण में मुंबई से लेकर इसका महानगरीय क्षेत्र है, जिसमें कोंकण से लेकर उत्तरी महाराष्ट्र में नासिक तक आता है और राज्य के पश्चिमी हिस्से में इसके दायरे में पुणे तथा इसका उपनगरीय क्षेत्र है.

मुंबई जहां देश की वाणिज्यिक राजधानी है तो फलते-फूलते आईटी सेक्टर की बदौलत पुणे तेजी से बढ़ता हुआ मेट्रो है. नासिक भी राज्य के तेजी से बढ़ रहे शहरों में है और मुंबई एवं पुणे के साथ इसका अच्छा संपर्क है.

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-राकांपा गठबंधन ने स्वर्ण त्रिकोण की 77 सीटों में से 33 पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा-शिवसेना गठबंधन 24 क्षेत्रों में कामयाब रही. कांग्रेस ने 23, शिवसेना ने 13, संप्रग की उस समय की सहयोगी राकांपा ने 10 सीटें जीती जबकि भाजपा और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना 11 सीटें जीतने में सफल हुई थी.

लेकिन, इस बार पांच कोणीय मुकाबले के कारण कांग्रेस और शिवसेना दोनों को अपना स्थान बनाए रखने के लिए मुश्किल चुनौती से जूझना होगा. मुंबई और इसके उपनगर में 36 सीटें हैं जहां अंतिम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दबदबा था. राकांपा ने यहां से दो तो कांग्रेस ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने शहर में छह सीटों पर कब्जा जमाया तो भाजपा के खाते में 5 सीट गयी थी.

अगर हालिया लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन को देखा जाए तो भाजपा को 17 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल हुयी जबकि शिवसेना ने 16 निर्वाचन क्षेत्रों में अपना असर दिखाया. कांग्रेस को महज दो सीटों पर बढ़त थी तो राकांपा एक ही क्षेत्र में आगे रही थी.

इस बार 15 अक्तूबर को होने वाले चुनाव में कांग्रेस और राकांपा को सत्ता विरोधी लहर ही नहीं बल्कि गठबंधन टूटने के कारण वोट विभाजन का भी सामना करना होगा. 25 साल पुराना गठबंधन टूटने के कारण शिवसेना और भाजपा को भी इस तरह की स्थितियों से दो चार होना पड़ेगा.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment