रेलवे मस्जिदों को ढहाने के लिए जारी किए गए नोटिस पर रिकॉर्ड पेश करें : दिल्ली हाईकोर्ट

Last Updated 13 Sep 2023 08:35:25 AM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने मंगलवार को रेलवे को रेलवे ब्रिज और बाबर रोड रेलवे लाइन के पास स्थित मस्जिद तकिया बब्बर शाह (Masjid Takiya Babbar Shah) और बंगाली मार्केट मस्जिद (Bengali Market Mosque) की दीवारों पर चिपकाए गए दो डिमोलिशन नोटिसों (demolition notices) के संबंध में रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया।


दिल्ली हाईकोर्ट

न्यायमूर्ति प्रतीक जालान दिल्ली वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board) द्वारा दो नोटिसों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे थे और प्रशासन को अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया था।

न्यायाधीश ने संबंधित रिकॉर्ड अदालत में लाने का निर्देश देते हुए कहा, ''मैं देखना चाहता हूं कि रेलवे प्रशासन संपत्ति, तारीख का उल्लेख किए बिना कैसे नोटिस जारी कर रहा है।''

केंद्र के वकील ने कहा कि नोटिस रेलवे अधिकारियों द्वारा जारी किए गए थे और यह संबंधित व्यक्तियों की पूरी जानकारी के बाद किया गया था।

वकील ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा, "मुझे एक हलफनामा दाखिल करने दीजिए। मैंने रिकॉर्ड की जांच की। सभी को पूरी जानकारी देने के बाद नोटिस चिपका दिया गया है।"

इसके बाद जज ने चार हफ्ते का समय दिया और कहा कि 26 जुलाई को पारित अंतरिम आदेश जारी रहेगा।

अदालत ने कहा, "प्रतिवादी को संबंधित रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया जाता है।"

26 जुलाई को, उच्च न्यायालय ने रेलवे प्रशासन को कथित अनधिकृत संरचनाओं और रेलवे भूमि पर अतिक्रमण को हटाने की मांग करने वाली दो मस्जिदों से जुड़े नोटिस के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया था।

बोर्ड ने तर्क दिया है कि दोनों मस्जिदें वक्फ संपत्ति हैं, और न तो उनके नीचे की जमीन रेलवे की है, न ही मस्जिदें अनधिकृत संरचनाएं हैं।

अदालत ने केंद्र को याचिका के संबंध में आवश्यक निर्देश मांगने का निर्देश दिया था और कहा था कि नोटिस अहस्ताक्षरित, अदिनांकित थे और जारी करने वाले प्राधिकारी को निर्दिष्ट नहीं किया गया था।

उसने आदेश दिया था कि फिलहाल इन नोटिसों के आधार पर कोई कार्रवाई न की जाए।

बोर्ड की याचिका में कहा गया है कि विवादित नोटिस सामान्य, अहस्ताक्षरित और अदिनांकित होने के अलावा उन्हें सीधे नहीं भेजा गया था। नोटिस की सामग्री से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी (रेलवे) इस कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और बिना किसी वैध कारण के मस्जिदों को ध्वस्त करने की योजना बना रहे हैं।

याचिका में आगे तर्क दिया गया है कि चूंकि नोटिस में एक विशिष्ट तारीख और हस्ताक्षर का अभाव है और बोर्ड के कार्यालय में भेजे जाने के बजाय मस्जिदों पर चिपका दिया गया था, इसलिए ऐसी आशंका है कि रेलवे बिना किसी रोक-टोक के विध्वंस के साथ आगे बढ़ सकता है, जब तक कि इस अदालत द्वारा निर्देश न दिया जाए।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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