कचरे से बनेगी बिजली: केजरीवाल

Last Updated 28 Oct 2020 02:19:10 AM IST

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार सोमवार गाजीपुर के पोल्ट्री मार्केट में मंडी से निकलने वाले कूड़े से बिजली और खाद बनाने के प्लांट का उद्घाटन किया।


मंगलवार को दिल्ली के गाजीपुर मछली व पोल्ट्री बाजार में कचरे से बिजली बनाने वाले संयंत्र का उद्घाटन करते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया। फोटो : एसएनबी

केजरीवाल ने कहा कि गाजीपुर मंडी से प्रतिदिन निकलने वाले कचरे से वेस्ट टू पावर प्लांट की मदद से बिजली बनाई जाएगी। दिल्ली में कचरा प्रबंधन के लिए आने वाले कुछ वर्षो में इस तरह के कई छोटे-छोटे प्लांट स्थापित किए जाने की जरूरत है। मौजूदा बड़े डब्ल्यूटीपी प्लांट और ऐसे सैकड़ों छोटे प्लांट्स को स्थापित करने के बाद रोजना निकलने वाले कचरे को कूड़े के पहाड़ों पर नहीं डालना पड़ेगा।  इस मौके पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन गोपाल राय समेत वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

सिसोदिया ने कहा कि इस प्लांट से बनी बिजली लोगों के घरों को रोशन भी करेगी और लोगों को कूड़े से निजात भी दिलाएगी। गोपाल राय ने कहा कि  अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया है, वेस्ट टू एनर्जी प्लांट उस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। करीब 9 करोड़ रु पए की लागत से इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2017 में की गई थी। इस 9 करोड़ रु पए में 420 लाख रुपए प्रोजेक्ट की लागत, 6 साल का वार्षिक रख-रखाव के लिए करार और मंडी की साफ सफाई के साथ कूड़े के निस्तारण पर आने वाला खर्च आदि शामिल है। इस प्लांट की क्षमता 15 टन प्रतिदिन की है।

केजरीवाल ने कहा कि इस मंडी में जितना भी प्रतिदिन के आधार पर कूड़ा पैदा होगा, उस सारे कूड़े से रोज बिजली बनाई जाएगी। दिल्ली देश की राजधानी है, राजधानी होने के नाते दिल्ली को राजधानी जैसे दिखना भी चाहिए। इस प्लांट से 1500 यूनिट बिजली प्रतिदिन बनेगी, जो बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन ऐसे छोटे-छोटे सैकड़ों प्लांट पूरी दिल्ली के अंदर लगने की जरूरत है। एक तरफ कुछ बड़े प्लांट भी बेस्ट टू एनर्जी के प्लांट लगे हुए हैं, दूसरी तरफ बहुत सारे छोटे-छोटे प्लांट पूरी दिल्ली के अंदर लगेंगे। फिर ऐसी स्थिति में पहुंच सकते हैं कि दिल्ली का सारा कूड़ा रोजाना खत्म हो जाना चाहिए। उससे चाहे खाद बन जाए, बिजली बन जाए या फिर वो ईट भट्ठे में चला जाए। उस कूड़े का कहीं न कहीं पर री-साइकलिंग होनी चाहिए।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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