डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई, मरीज हलकान
राष्ट्रीय राजधानी में कई सरकारी और निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं सोमवार को बाधित हैं क्योंकि अनेक डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल में हड़ताल कर रहे डॉक्टरों के समर्थन में काम का बहिष्कार किया है।
हड़ताल के कारण धूप में परेशान मरीज। फोटो : एसएनबी |
अनुमान है राजधानी में करीब 50 हजार से अधिक मरीजों को प्राथमिक सवाओं से वंचित रहना पड़ा, इस बीच अगले चौबीस घंटे के दौरान करीब 15 हजार से अधिक बड़े ऑपरेशन टाल दिए गए। मरीजों का दु:ख बढ़ता ही जा रहा है। दिल्ली में दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, नगर निगम और दिल्ली छावनी बोर्ड, एनडीएमसी के करीब 83 अस्पताल हैं। इसके अलावा 1808 पंजीकृत नर्सिग होम्स, 35 कारपोरेट हास्पिटल, 808 नैदानिक केंद्र भी है। जहां पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रही।
एम्स ने लिया यू टर्न, हड़ताल में हुआ शामिल : एम्स के डॉक्टरों ने भी एक दिन के लिए काम के बहिष्कार निर्णय लिया है। अंसारी नगर स्थित एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने पहले हड़ताल में शामिल न होने का फैसला किया था, लेकिन सोमवार की सुबह एम्स के जेपीएन ट्रॉमा सेंटर में एक जूनियर डॉक्टर पर हमले के बाद दोपहर से सभी गैर आवश्यक सेवाओं से अनुपस्थित रहने का फैसला किया। एम्स आरडीए ने एक बयान में कहा कि अस्पताल के जयप्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में गंभीर स्थिति वाले मरीजों को प्राथमिकता देने पर एक जूनियर डॉक्टर पर कथित हमला किया गया। एम्स के डॉक्टरों ने परिसर में सुबह आठ बजे से नौ बजे तक प्रदर्शन भी किया। एम्स आरडीए ने दोपहर 12 बजे एक बयान जारी किया। जिसमें कहा गया कि हम एक बार फिर पश्चिम बंगाल प्रशासन से हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने और आम जनता के हित में जल्द से जल्द इस मामले को मैत्रीपूर्ण ढंग से सुलझाने का अनुरोध करते हैं।
निजी, सरकारी डॉक्टर की हड़ताल की वजह : रविवार को आईटीओ स्थित मुख्यालय में देशभर में एलोपैथ डाक्टरों के संघ भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने आकस्मिक चिकित्सा सेवाओं को छोड़कर हड़ताल का आह्वान किया था। सोमवार को राजधानी के सरकारी, निजी अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित रहीं। मरीज इधर-उधर अदद इलाज के लिए भटकते नजर आए। उनकी स्थिति की न तो प्रशासन ने चिंता की न डाक्टरों ने ही दु:ख दर्द बांटने का प्रयास किया।
आईएमए सदस्यों ने अपने मुख्यालय पर धरना दिया व जुलूस निकाला। केंद्र सरकार द्वारा संचालित सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, आरएमएल अस्पताल, लाल राम स्वरूप तपेदिक अस्पताल के साथ-साथ दिल्ली सरकार के जीटीबी अस्पताल, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल, संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल और दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के डॉक्टर भी हड़ताल में शामिल हुए। वे सामान्य दिनों की तरह आज मरीजों को देखने में व्यस्त रहने की बजाए धरना प्रदर्शन, मार्च निकालते रहे। शीर्ष चिकित्सा संस्था आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अशोकन ने कहा कि सभी ओपीडी, नियमित ऑपरेशन थिएटर सेवाएं और वार्ड का निरीक्षण 24 घंटे के लिए सोमवार सुबह छह बजे से मंगलवार सुबह छह बजे तक स्थगित रहेगा। हालांकि आपातकालीन और आईसीयू सेवाएं काम कर रही हैं। चूंकि दिल्ली चिकित्सा संघ (डीएमए) और फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने हड़ताल को अपना समर्थन दिया है।
निजी अस्पताल में रोगियों को दूसरे फ्लोर पर देखा: बीएलके, अपोलो, गंगाराम, फोर्टिस, मैक्स जैसे अस्पतालों की मुख्य ओपीडी फ्लोर पर आज रोगियों को देखने की बजाय दूसरे विंग में जांच करते नजर आए। इस बीच दिल्ली में करीब 32 हजार एलोपैथ डाक्टरों की संघ दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. गिरीश त्यागी ने दावा किया कि विरोध सफल रहा जो मंगलवार को प्रात: 6 बजे तक जारी रहेगा। दूसरे चरण का आंदोलन दोपहर बाद बुलाई गई आपात बैठक में लिया जाएगा।
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