दिल्ली को अधिकारों की जंग पर केंद्र की सुप्रीम कोर्ट में दलील, और अधिकार दिए तो फैलेगी अराजकता

Last Updated 22 Nov 2017 05:20:46 AM IST

केन्द्र सरकार ने कहा कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है फिर भी मौजूदा सरकार राज्य के अधिकारों की तर्ज पर दावा जता रही है. अगर दिल्ली को राज्य के अधिकार दिए गए तो इससे अराजकता फैल जाएगी.


उच्चतम न्यायालय

दिल्ली के पास राज्य के अधिकार नहीं : दिल्ली सरकार की लम्बी बहस समाप्त होने पर केन्द्र ने अधिकारों पर छिड़ी जंग को लेकर बहस शुरू की. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने केन्द्र की ओर से दलीलें शुरू करते हुए कहा कि जब दिल्ली सरकार के पास राज्य सरकार के अधिकार ही नहीं हैं तो उनका उपयोग करने की बात वह कैसे कर सकती है.

केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट में आम आदमी पार्टी सरकार की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि संविधान के तहत केन्द्र शासित प्रदेशों में से दिल्ली को विशेष दर्जा प्राप्त है, लेकिन यह इसे राज्य नहीं बनाता.

असल प्रशासनिक शक्तियां केंद्र व राष्ट्रपति के पास : चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी, अजय खानविलकर, धनंजय चंद्रचूड़ और अशोक भूषण की संविधान पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने संवैधानिक प्रावधानों का जिक्र  किया और कहा कि दिल्ली को अन्य केन्द्र शासित प्रदेशों की तुलना में विशेष दर्जा प्राप्त है, लेकिन यह बात राष्ट्रीय राजधानी को संविधान के तहत राज्य का दर्जा नहीं देती.

अरविंद केजरीवाल नीत सरकार पर बिना नियंत्रण वाली प्रशासनिक शक्तियों की मांग करने का आरोप लगाते हुए एएसजी ने कहा कि जब आपको शक्ति नहीं दी गई तो आप इसका इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं.

धन खर्च करने के लिए आपकी जेब में कुछ धन तो होना चाहिए. उन्होंने संविधान पीठ से कहा कि दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय राजधानी की दिन प्रतिदिन की जरूरतों का ख्याल रखने की शक्ति प्राप्त है, लेकिन असल प्रशासनिक शक्तियां केन्द्र और राष्ट्रपति के पास हैं. जो संविधान में नहीं दिया गया है, उसे केवल संविधान की व्याख्या करके केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली को नहीं दिया जा सकता.

सहारा न्यूज ब्यूरो


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