आप का बवाल: सवाल पानी का नहीं, आंखों के पानी का है!

Last Updated 08 May 2017 06:30:13 AM IST

क्या वाकई में दिल्ली में पेय जल आपूर्ति में कुप्रबंधन की वजह से कपिल मिश्रा की छुट्टी हुई है? इस सवाल का जवाब तो दिल्ली सरकार ही दे सकती है.


सवाल पानी का नहीं, आंखों के पानी का है!

क्योंकि दिल्ली नगर निगम चुनाव में पानी माफ-बिजली हाफ का नारा आम आदमी पार्टी की ओर से दिया गया था. फरवरी में दिल्ली सरकार के दो साल पूरे होने पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और कपिल मिश्रा ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर पेयजल आपूर्ति को लेकर बुकलेट जारी करते हुए दिल्ली में पानी मुहैया कराने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की थी. लेकिन अचानक पानी सप्लाई में कुप्रबंधन का आरोप लगाकर कपिल को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. ऐसे में लगता है कि सवाल केवल पानी का नहीं बल्कि आंखों के पानी का भी है.

याद कीजिए, पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र तोमर के फर्जी डिग्री का मामला जब प्रकाश में आया तो मुख्यमंत्री केजरीवाल उनकी डिग्री की सच्चाई पर मुहर लगा रहे थे. तोमर जब बुरी तरह फंस गए तो उनसे इस्तीफा लिया गया. आप सरकार के कद्दावर मंत्री सत्येंद्र जैन पर भी कथित तौर पर तरह-तरह के गंभीर आरोप लग रहे हैं, लेकिन पूरी सरकार जैन के पीछे खड़ी है.

कपिल मिश्रा चीख-चीख कर कह रहे हैं कि वे एक मात्र ऐसे मंत्री रहे हैं जिनके खिलाफ सीबीआई में या एसीबी में कोई मामला नहीं है. यानी बाकी सभी जांच के दायरे में हैं. फिर भी उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है. इसके पीछे कोई न कोई राजनीतिक पटकथा लिखी गई है, जिसकी तहकीकात जरूरी है. दरअसल एक साल पहले कपिल मिश्रा ने टैंकर घोटाले को लेकर मामला उठाया था. उस समय कपिल ने ट्वीट कर कहा था कि मेरी कुर्सी भी जा सकती है.

हालांकि इस मामले को सरकार की ओर से दबा दिया गया. लेकिन कपिल की चिट्ठी को संज्ञान में लेते हुए एसीबी ने मामला दर्ज कर लिया. कपिल से भी एसीबी ने कई राउंड पूछताछ की. शीला दीक्षित से भी एक बार पूछताछ की गई. बात आई-गई और खत्म हो गई. इस दौरान राष्ट्रीय सहारा के इस संवाददाता ने कपिल मिश्रा से कई बार टैंकर घोटाले को लेकर सवाल किया, लेकिन कपिल ने कहा, इस बात को छोड़ दीजिए.



 बहरहाल दिल्ली नगर निगम चुनाव हारने के बाद जब पूरी पार्टी ईवीएम में गड़बड़ी का राग अलाप रही थी तो कपिल मिश्रा ने पार्टी स्टैंड से अलग राह पकड़ ली. उनका कहना था कि हमें अपनी गलतियों को भी देखना होगा. इसी बीच कुमार विास और अमानतुल्ला के बीच सियासी युद्ध शुरू हो गया. कुमार के पक्ष में सबसे पहले कपिल मिश्रा खुल कर खड़े हो गए. कपिल ने बयान दिया था कि पार्टी संयोजक (पार्टी संयोजक केजरीवाल हैं) को भी बदला जा सकता है.

कुमार राजस्थान के प्रभारी बना दिए जाने के बाद मान गए. कुमार के कहने पर अमानतुल्ला को निलंबित भी कर दिया गया लेकिन अमानतुल्ला को विधानसभा की छह कमेटियों में मेंबर बना दिया गया. कुमार के पक्ष में खड़े कई विधायकों का पत्ता साफ कर दिया गया. कुमार के सबसे करीबी कपिल को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और कुमार साहब अपनी पत्नी के साथ आज केजरीवाल से मिलने उनके घर पहुंच गए. पीएसी की बैठक में संभव है कि कपिल मिश्रा को पार्टी से निलंबित कर दिया जाए.

यहां यह बताना जरूरी है कि जिस-जिस व्यक्ति ने केजरीवाल के खिलाफ जुबान खोला उसका क्या हश्र हुआ है. केजरीवाल के खिलाफ बोलने पर निपटा दिए गए विनोद कुमार बिन्नी, शाजिया इल्मी, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रो. आनंद कुमार, प्रो. अजित झा. निलंबित विधायक-आसिम अहमद खान और कर्नल देवेंद्र सहरावत.

 

 

 

रविशंकर तिवारी


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