दिल्ली में 'कुतुब मीनार जैसे' कूड़े के ढेर से सुप्रीम कोर्ट चिंतित
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कूड़ा कचरा डालने के लिये निर्धारित तीन स्थानों के निकट 'कुतुब मीनार की तरह' ऊंचे कूड़े के अंबार की 'चिंताजनक' स्थिति पर दिल्ली सरकार को आड़े हाथ लिया.
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) |
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतनी अधिक मात्रा में कचरे के निस्तारण के लिये सरकार कुछ अधिक नहीं कर रही है. न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने शुक्रवार को दिल्ली में सत्तारूढ आम आदमी पाटी के विधायकों से कहा कि कूड़े के निस्तारण के लिये वे जनता में जागरूकता पैदा करें.
पीठ ने कहा, ''कूडा एकत्र करने के निर्धारित स्थानों पर 45 मीटर से उंचे कूडे के अंबार लगे हैं. ये उंचाई में कुतुब मीनार की तरह हैं. कुतुब मीनार की उंचाई तो 73 मीटर है और कूडे के ये ढेर उसकी आधी उंचाई से अधिक हैं. यह चिंताजनक स्थित है. इससे कौन निबटने जा रहा है? आपको (सरकार) इस समस्या से निबटना होगा.''
न्यायाधीशों ने ये टिप्पणियां उस वक्त कीं जब दिल्ली के मुख्य सचिव की ओर से सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने ओखला, गाजीपुर और भलस्वा में स्थित तीन लैंडफिल स्थानों के निकट कूडे के 45 मीटर उंचे ढेरों का जिक्र किया. इस पर पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा से कहा कि पूरी दिल्ली में आप पार्टी के विधायक हैं जो कूडे कचरे के निस्तारण के बारे में जनता में जागरूकता पैदा कर सकते हैं.
मेहरा ने कहा कि इन विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में नाले, सीवर और सड़कों के निर्माण सहित कई अन्य जिम्मेदारियों को भी देखना होता है और उनसे जनता में जागरूकता पैदा करने के लिये कहना ''कुछ ज्यादा ही हो जायेगा.''
मेहरा के इस कथन पर न्यायाधीशों ने टिप्पणी की, ''यह मत कहिये. यह काम तो घर से शुरू करना होगा. आप के विधायक, आपके निर्वाचित प्रतिनिधि हैं जिन्हें जनता को संवेदनशील बनाना चाहिए. ऐसा मत कहिये कि विधायकों की जिम्मेदारी नहीं है.''
मेहरा ने दलील दी कि कुड़ा एक़त्र करना और उसका निस्तारण करना विधायकों का नहीं बल्कि स्थानीय निकाय का काम है.
दिल्ली सरकार के वकील की इस टिप्पणी पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘हर समस्या के लिये दूसरों पर दोष मढना तो दबंगई है. आप सिर्फ दूसरों पर दोष मढ़ रहे हैं. ऐसा मत कहिये कि शहर को स्वच्छ बनाने में विधायकों की कोई जिम्मेदारी नहीं है.’’
न्यायालय ने ओखला, गाजीपुर और भलस्वा क्षेत्र के विधायकों को सभी दावेदारों के साथ बैठकों में शामिल होने का निर्देश देने के साथ ही यह जानना चाहा कि स्थानीय क्षेत्र के विकास के लिये प्रत्येक विधायक को कितना धन मिलता है. न्यायालय को सूचित किया गया कि प्रत्येक विधायक को इस मद में चार करोड रूपये मिलते हैं.
पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि उसे भावी परिस्थितियों के लिये तैयार रहना चाहिए और समस्या सामने आ जाने पर ही उपाय नहीं करने चाहिए.
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘आपको ऐसी स्थिति के लिये तैयार रहना चाहिए. अब एवियन फ्लू के मामले सामने आने की सूचना है. डियर पार्क बंद कर दिया गया है. डेूगू और चिकुनगुनिया के मामलों में कमी आयी है. आपको हर तरह की स्थिति के लिये तैयार रहना चाहिए.’’
पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार को सिर्फ परिस्थितियां उत्पन होने पर ही प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए बल्कि उसे भविष्य को ध्यान में रखते हुये योजना बनाकर तैयारी करनी चाहिए.
सालिसीटर जनरल ने कहा कि कुछ काम हो रहा है और कचरे का कूडे से उर्जा संयंत्रों के जरिये निस्तारण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ओखला में कचरे से उर्जा पैदा करने का संयंत्र लगाया गया है और इससे 16 मेगावाटी बिजली पैदा की जा रही है. उन्होंने कहा कि एक महीने के भीतर स्थिति में और सुधार होगा.
पीठ ने कहा कि पर्यावरणविद सुनीता नारायण की अध्यक्षता वाले सेन्टर फार साइंस एंड एंवायरनमेन्ट ने इस विषय पर अच्छा अध्ययन किया है जिस पर दिल्ली सरकार को गौर करना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इन तीन लैंडफिल स्थानों वाले क्षेत्र के विधायकों सहित सभी दावेदारों की बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया.
न्यायालय ने 17 अक्तूबर को इन लैंडफिल स्थानों पर गिराये जा रहे कचरे को लेकर चिंता व्यक्त करते हुये कहा था कि कचरे के सही तरीके से निस्तारण के अभाव में लोग मर रहे हैं. इसी तरह, न्यायालय ने छह अक्तूबर को भी दिल्ली में डेंगू और चिकुनगुनिया की समस्या से निबटने के मामले में प्रशासन की आलोचना की थी.
न्यायालय ने पिछले साल डेंगू से पीड़ित सात साल के बच्चे का इलाज करने से पांच निजी अस्पताओें द्वारा इंकार किये जाने की वजह से उसकी मृत्यु और इसके बाद उसके माता पिता द्वारा आत्महत्या किये जाने की घटना का स्वत: ही संज्ञान लिया था.
न्यायालय ने इस बच्चे को भर्ती करने से कथित रूप से इंकार करने के मामले में साकेत स्थित मैक्स अस्पताल, लाजपत नगर में मूलचंद खैराती राम अस्पताल, मालवीय नगर में आकाश अस्पताल, साकेत सिटी अस्पताल और कालकाजी स्थित इरेन अस्पताल को भी कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा था कि क्यों नहीं उनके लाइसेंस रद्द कर दिये जायें.
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