आप विधायक दिनेश मोहनिया को मिली जमानत

Last Updated 29 Jun 2016 08:04:21 PM IST

दिल्ली की एक अदालत ने कथित छेड़छाड़ मामले में गिरफ्तार आप विधायक दिनेश मोहनिया की जमानत मंजूर की.


आप विधायक दिनेश मोहनिया
अदालत ने कहा कि उन्हें न्यायिक हिरासत में रखने से कोई उद्देश्य हल नहीं होगा क्योंकि जांच लगभग पूरी हो चुकी है.
      
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीलम सिंह ने संगम विहार से विधायक मोहनिया को जमानत दे दी. इससे पहले मजिस्ट्रेट अदालत ने मोहनिया की दो याचिकाएं खारिज की थीं.
      
अदालत ने 50 हजार रूपये के निजी मुचलके और इतनी राशि के एक जमानतदार देने पर जमानत मंजूर की और उन्हें सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने या किसी भी तरह से जांच प्रभावित नहीं करने का निर्देश दिया.
      
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘रिकार्ड पर गौर करने से पता चलता है कि इस मामले की जांच लगभग पूरी है. यह तथ्य है कि अपील करने वाला आरोपी विधानसभा का सदस्य है और उसकी समाज में जड़े हैं.’’
      
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि जांच लगभग पूरी है और तथ्य यह है कि आरोपी 25 जून से न्यायिक हिरासत में है, इसलिए उन्हें न्यायिक हिरासत में और रखने से कोई उद्देश्य हल नहीं होगा. इसलिए, मैं 50 हजार रूपये के निजी मुचलके तथा इतनी राशि का एक जमानतदार देने पर आरोपी दिनेश मोहनिया को जमानत पर रिहा करने के पक्ष में हूं.’’
      
अदालत ने न्यायाधीश से जरूरत पड़ने पर जांच में शामिल होने को कहा.
      
अदालत ने विधायक को राहत मंजूर करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फूलका की इन दलीलों पर विचार किया कि पुलिस अधिकारियों द्वारा कानून एवं प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया.
      
दलीलों के दौरान दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और अगर उन्हें रिहा किया जाता है तो वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.
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हालांकि विधायक के वकील ने दलील दी कि वह अदालत द्वारा लगाई गई सभी शर्तों का पालन करने एवं जांच और अभियोजन के सबूतों से किसी भी तरह से हस्तक्षेप नहीं करने को तैयार हैं.
      
एक महिला द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, वह 22 जून को अन्य महिलाओं के साथ मिलकर पानी संबंधी समस्याओं को लेकर मोहनिया के कार्यालय गई थी और विधायक एवं उनके सहयोगियों ने उनसे कथित रूप से दुर्व्‍यवहार किया तथा उन्हें कार्यालय से बाहर धक्का दिया.
      
प्राथमिकी में कहा गया है कि महिलाओं को धमकी दी गई कि अगर उन्होंने फिर से कार्यालय आने की हिम्मत की तो उनके हाथ पैर तोड़ दिये जाएंगे.
 



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