दिल्ली को लोन नहीं देगी 'जायका'

Last Updated 23 Aug 2015 05:34:13 AM IST

दिल्ली सरकार द्वारा जायका से 2000 करोड़ का लोन लेकर सीवरलाइन बिछाने तथा यमुना सफाई व सौन्दर्यीकरण अभियान चलाने की योजना को कड़ा झटका लगा है.


जायका से लोन न मिलने पर दिल्ली में सीवर बिछाने, सौन्दर्यीकरण व यमुना सफाई अभियान को झटका

वह इसलिए कि जापान इंटरनेशनल कोआपरेशन एजेंसी (जायका) ने धन राशि देने से साफ मना कर दिया है.

केन्द्रीय शहरी शहरी विकास मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को जायका द्वारा धन राशि देने से मना किए जाने की सूचना दे दी है. पत्र में स्षप्ट किया गया कि केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय के लिए भी इतनी बड़ी धनराशि दिल्ली सरकार को देना संभव नहीं है. इस प्रकार दिल्ली सरकार को इस मामले में दोहरा झटका लगा है.

सूत्रों के अनुसार जायका ने कहा कि जल बोर्ड द्वारा यमुना सफाई अभियान के तहत जायका के पिछले अनुभव उत्साहवर्धन नहीं रहे हैं. यही कारण है कि जायका दिल्ली सरकार को और धनराशि देने से मना कर दिया है. उधर, केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने भी बड़ी धनराशि देने से हाथ खड़े कर दिए हैं.

हालांकि जायका ने दिल्ली मेट्रो परियोजना तथा यमुना एक्शन प्लान के तहत पिछले वर्षो में दिल्ली सरकार को काफी लोन दिया है, लेकिन नई योजना से हाथ खींच लिया है.

यमुना सफाई के तहत बड़े इंटरसेप्टर सीवर लगाए जाने हैं जिसके लिए ज्यादा धन की आवश्यकता होगी . कई परियोजना लगभग 70 प्रतिशत पूरी है लेकिन शेष कार्य के लिए ज्यादा धनराशि चाहिए. इसके अलावा करीब 140 शहरी गांव, 180 देहात के गांव तथा 1839 अनधिकृत कालोनियों में भी सीवर लगाने की योजना है ताकि साफ जल यमुना तक पहुंचे. शहरी विकास मंत्रालय ने साफ किया है कि इतनी बड़ी परियोजना के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के आधार पर धन जुटाने की कवायद की जानी चाहिए. इस मॉडल पर दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव के के शर्मा ने काम करना शुरू कर दिया है.

जायका द्वारा अब तक यमुना एक्शन प्लान एक, दो  व तीन के लिए पर्याप्त धन दिया है. यमुना एक्शन प्लान एक के तहत राजधानी में 959 टॉयलेट ब्लाक बने जबकि दूसरे व तीसरे चरण में सीवेज ट्रीटेमेंट प्लांट लगाए गए लेकिन जब राजधानी के सभी नालों के जल को शोधित करने के साथ-साथ सभी अनधिकृत कालोनी में सीवर लगाने का काम पूरा होगा, तभी शोधित जल यमुना में पहुंचेगा लेकिन जायका तथा केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा हाथ खींचने के बाद दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने पीपीपी मॉडल अपनाने की प्रक्रिया शुरू की है. इस मॉडल के अंतर्गत जो भी निजी कम्पनियां इस काम में भागीदारी करेगी उसे शोधित जल के व्यायसायिक इस्तेमाल की छूट मिलेगी. अभी इसका अन्तिम प्रारूप तैयार होना बाकी है. मुख्य सचिव का कार्यालय पीपीपी मॉडल पर काम कर रहा है.

संजय के झा
एसएनबी


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