डीयू फर्जी एडमिशन मामले में कई कॉलेजों को नोटिस

Last Updated 02 Aug 2015 06:51:24 AM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी के नामी कॉलेजों में फर्जी तरीके से एडमिशन कराने वाले गिरोह के पकड़े गए सदस्यों ने पूछताछ में खुलासा किया.


डीयू फर्जी एडमिशन मामले में कई कॉलेजों को नोटिस (फाइल फोटो)

उन लोगों ने अब तक करीब 25 छात्रों के एडमिशन फर्जी तरीके से कराए हैं, हालांकि पुलिस सूत्रों का दावा है कि यह आकंड़ा एक सौ पार कर सकता है और गिरोह के मास्टरमाइंड इंद्रजीत उर्फ काकू के पकड़े जाने के बाद ही अन्य एडमिशनों के बारे में पर्दाफाश हो पाएगा. पुलिस का कहना है कि जिन कॉलेजों में फर्जी तरीके से एडमिशन कराए गए हैं, उन विभिन्न कॉलेजों को नोटिस देकर अपना जवाब जल्द से जल्द देने को कहा गया है. सूत्रों ने दावा किया कि इस रैकेट में डीयू कर्मियों के संलिप्तता की आशंका है और पुलिस टीमें विभिन्न कोणों से मामले की जांच में जुटी हुई है.

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक जांच में यह साफ हुआ है कि इस गिरोह ने हिन्दू व किरोड़ीमल में एक-एक, अरविंदो में तीन, दयाल सिंह में दो, रामलाल आनंद में दो, डीएवी में एक, कमला नेहरू में एक तथा भगत सिंह में दस से अधिक एडमिशन के बारे में खुलासा किया है, इसके अलावा कुछ और नए कॉलेजों के बारे में क्राइम ब्रांच की जानकारी हासिल हुई है. फर्जी तरीके से एडमिशन लेने वाले सभी छात्रों के ब्योरे कॉलेज प्रशासन को जल्द से जल्द उपलब्ध कराए जाने के लिए नोटिस शनिवार को जारी कर दिया गया है और उम्मीद है कि सोमवार से सारी जानकारी क्राइम ब्रांच को मिलना शुरू हो जाएगी.

पुलिस को जांच में पता चला है कि इस गिरोह का मास्टरमाइंड इंद्रजीत उर्फ काकू है, जो मालवीय नगर का रहने वाला है और एक राजनीतिक पार्टी से जुड़ा हुआ है. इंद्रजीत उर्फ काकू के बारे में पता चला है कि उसने पिछले पांच साल में सौ से अधिक छात्रों के एडमिशन फर्जी तरीके से कराए हैं, हालांकि उसकी गिरफ्तारी के बाद ही अन्य एडमिशन के बारे में खुलासा हो पाएगा. 

ज्ञात हो कि क्राइम ब्रांच ने पिछले दिनों डीयू के एक छात्र समेत चार आरोपियों को धर दबोचा था, जो तीन से सात लाख रुपए लेकर डीयू के विभिन्न कॉलेजों में एडमिशन कराते थे. पकड़े गए आरोपियों की पहचान सुनील पंवार उर्फ गुरुजी (41), मो. जुबैर (25), प्रवीन झा (35) और रंचित खुराना (30) के तौर पर की गई थी. इनमें मो. जुबैर अरबिंदो कॉलेज का छात्र है. पुलिस ने गहन जांच उपरांत दावा किया कि यह गैंग कम अंकों की वजह से जिन छात्रों को डीयू के विभिन्न कॉलेजों में दाखिला नहीं हो पाता था, उन लोगों को फर्जी कागजात के आधार पर नामी कॉलेजों में दाखिला कराते थे. 



पुलिस ने दावा किया कि इस गैंग ने बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश बोर्ड की फर्जी वेबसाइट बना रखी थी और बनाए गए फर्जी दस्तावेज को इसी बेबसाइट पर डाला जाता था ताकि कॉलेज प्रशासन दस्तावेज की सत्यता के लिए जब वेबसाइट खोले तो उन्हें दस्तावेज के फर्जी होने का शक न हो.

पुलिस के अनुसार डीयू प्रशासन ने मामले में जानबूझ कर लापरवाही बरती या फिर उसके कुछ कर्मी इस गोरखधंधे में शामिल थे, इस बारे में भी गहन तहकीकात की जा रही है.

क्राइम ब्रांच सूत्रों ने दावा किया कि यदि डीयू प्रशासन तथा संबंधित कॉलेज प्रबंधक यदि फर्जी दस्तावेज की उचित जांच करते तो शायद पहले ही इस रैकेट का पता चल जाता, हालांकि डीयू ने स्पष्ट किया है कि बिहार व मध्यप्रदेश तथा उत्तरप्रदेश के बोर्ड से मिलते-जुलते फर्जी वेबसाइट के होने के चलते गड़बड़झाला का पता नहीं चल पाया.

 

 

राजीव रंजन
एसएनबी


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