आप सरकार ने अधिकारों के मामले में रूख किया कड़ा, कहा- जंग के लिए तैयार

Last Updated 25 May 2015 08:46:59 AM IST

सत्ता में आने के बाद घटनापूर्ण 100 दिन पूरे करने वाली ‘आप’ सरकार ने केंद्र की नरेंद्र मोदी नीत सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए उस पर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के मामले में पूरी तरह से अपने रुख से पलट जाने का आरोप लगाया.


दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल (फाइल फोटो)

उसने संकेत दिया कि वह एक संकल्प पेश कर सकती है, जिसमें उप राज्यपाल को निर्बाध अधिकार दिए जाने वाली ‘अंसैवधानिक’ अधिसूचना को खारिज किया जाएगा. अपने रुख को और कड़ा करते हुए उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि आप सरकार इस मुद्दे पर समझौता नहीं करेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र येन केन प्रकारेण दिल्ली पर शासन चलाने की चेष्टा कर रहा है और संघीय ढांचे का उल्लंघन कर रहा है.

दिल्ली विधानसभा के मंगलवार से शुरू होने जा रहे दो दिवसीय आपातसत्र से पहले पार्टी विधायकों की मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक हुई. विधायकों ने उनके अधिकारों में केंद्र के हस्तक्षेप की आलोचना की, जिससे विधानसभा सत्र का रुख स्पष्ट हो गया हैं. पार्टी के 70 सदस्यीय विधानसभा में 67 सदस्य हैं.

‘आप’ की बैठक

‘आप’ सरकार के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर सोमवार को एक सार्वजनिक समारोह में ‘खुली’ कैबिनेट बैठक होगी, जिसमें पूर्ण राज्य के मुद्दे पर विचार-विमर्श होने के आसार हैं. गृह मंत्रालय की अधिसूचना के खिलाफ संकल्प लाए जाने के मुद्दे पर भले ही विधायकों ने आधिकारिक रूप से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया हो, लेकिन सूत्रों ने कहा कि इस तरह के कदम की बहुत अधिक संभावना है.

सिसौदिया ने आरोप लगाया, ‘मोदीजी ने स्वयं कहा है और उन्होंने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात अपने घोषणापत्र में कही है. अब, जब यह मुद्दा उठा है, हमारा अधिकार मिलना चाहिए. इसके बारे में बात करने के बजाय वे दादागिरी दिखा रहे हैं. दिल्ली सरकार इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी.’

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें आगामी सत्र से उम्मीदें हैं क्योंकि विधानसभा सरकार की जननी होती है और यह सर्वोच्च और सर्वाधिक अधिकारसंपन्न निकाय है. पिछले साल लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा ने वादा किया था कि यदि वह सत्ता में आई तो वह दिल्ली को पूर्ण राज्य घोषित करेगी और उसने ध्यान दिलाया था कि ऐसा होने पर विभिन्न एजेंसियों के बीच समुचित तालमेल सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.

संकल्प लाने की तैयारी

भाजपा ने दिल्ली में लोकसभा चुनाव में सूपड़ा साफ करते हुए भारी अंतर से सभी सातों सीटें जीती थीं. बहरहाल, इस वर्ष फरवरी में हुए राज्य विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपना जो विजन दस्तावेज जारी किया था उसमें पूर्ण राज्य के दर्जे के बारे में उसका रुख स्पष्ट नहीं किया गया था. इससे पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पूर्ण राज्य का वादा किया था.

गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य के अधिकार तब तक नहीं दिए जा सकते जब तक कि इस मुद्दे पर देश भर में आम सहमति नहीं बन जाती क्योंकि यह मामला राष्ट्रीय राजधानी से जुड़ा है. सिसौदिया ने इस बात पर भी हैरत जताई कि भाजपा केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच मुकाबले को लेकर इतनी भयभीत क्यों है.

उन्होंने कहा कि केंद्र ने पिछले एक साल में अपने रुख से जो सबसे बड़ी पलटी खाई है वह है दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के मामले में. भाजपा केजरीवाल बनाम मोदी से भयभीत क्यों है. उप मुख्यमंत्री ने यह बात आप के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कही. उन्होंने मीडिया पर झूठ फैलाने और केजरीवाल की छवि को खराब करने का आरोप लगाया.

बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा, हम मीडिया के नहीं झूठ के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि हम अगले विधानसभा सत्र में जनलोकपाल विधेयक पेश कर देंगे. हमने किसी वरिष्ठ व्यक्ति या अधिकारी के खिलाफ जांच को रोका नहीं है. अंबानी (मुकेश) के खिलाफ मामले को तेज गति से आगे बढ़ाया जा रहा है.’ आप सरकार ने अपने पहले शासनकाल में प्राकृतिक गैस मूल्य वृद्धि के लिए कथित साठगांठ के कारण एम.

'भाजपा केजरीवाल बनाम मोदी से भयभीत क्यों है'

वीरप्पा मोइली, मुरली देवड़ा एवं आरआईएल प्रमुख मुकेश अंबानी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. सिसौदिया ने रविवार को कहा, ‘हम काम करने के साथ-साथ लड़ भी रहे हैं’ और दिल्लीवासी सरकार के काम से खुश हैं. सिसौदिया ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय राजधानी के ‘विश्वासघातियों’ को बचाने के लिए योजनाएं चल रही हैं. उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में तबादला, तैनाती उद्योग चलाने वाले अधिकारी अपनी सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति खेल रहे हैं.’

केजरीवाल के बेहद विश्वस्त सिसौदिया ने कहा, ‘हम काम करने के साथ-साथ लड़ भी रहे हैं. लोगों ने हमें शतरंज खेलने या इन विश्वासघातियों की बांह में बांह डालकर घूमने के लिए नहीं चुना है.’ उन्होंने इस बारे में अधिक खुलासा नहीं किया. केंद्र ने दो दिन पहले एक अधिसूचना जारी कर नौकरशाहों की नियुक्ति में उपराज्यपाल को निर्बाध अधिकार दिये और स्पष्ट किया कि उन्हें पुलिस और जन व्यवस्था जैसे विषयों पर दिल्ली के मुख्यमंत्री से सलाह लेने की जरूरत नहीं है.

कानूनी मार्ग के विकल्प भी खुलेआप सरकार ने कानूनी मार्ग के विकल्प को भी खुला रखा है. इसकी पुष्टि करते हुए विधायक अलका लांबा ने कहा, ‘यदि विधानसभा अदालत जाने का
निर्णय करती है तो हम अदालत में जाएंगे.’ उन्होंने यह भी कहा, ‘आप उपराज्यपाल का इस्तेमाल कर एक निर्वाचित सरकार को पर्दे के पीछे से नहीं चला सकते.’

विधानसभा को लोकतंत्र का मंदिर करार देते हुए द्वारका के विधायक आदर्श शास्त्री ने आरोप लगाया, ‘भाजपा सरकार उनके अधिकारों में घुसपैठ करने की चेष्टा कर रही है और यह संघीय ढांचे की पवित्रता का हनन है.’ मुख्यमंत्री के आवास पर एक घंटे तक चली बैठक में विधायकों ने मांग की कि उन्हें गृह मंत्रालय की अधिसूचना के बारे में सार्वजनिक तौर पर बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए.

इस अधिसूचना में उप राज्यपाल को नौकरशाहों की नियुक्ति तथा पुलिस एवं जन व्यवस्था के मुद्दों पर निर्बाध अधिकार दिए गए हैं. चांदनी चौक की विधायक अलका ने कहा, ‘संविधान केंद्र को किसी लिपिक तक के तबादले या नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं देता है. लिहाजा उन्होंने अधिसूचना जारी करने का मार्ग चुना. यदि मुख्यमंत्री के पास नियुक्ति या निलंबन का भी अधिकार नहीं है तो दिल्ली की निर्वाचित सरकार से भ्रष्ट अधिकारियों से लड़ने की उम्मीद कैसे की जा सकती है.’
 



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