अधिसूचना के खिलाफ केजरीवाल ने बुलाया विधान सभा का विशेष सत्र
अरविन्द केजरीवाल सरकार ने 26 व 27 मई को विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर गृह मंत्रालय द्वारा उनके अधिकारों में किए कटौती को सीधे चुनौती देने का मन बनाया है.
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो) |
यानी केन्द्र व उपराज्यपाल तथा दिल्ली सरकार के बीच जारी जंग को अरविन्द केजरीवाल विधान सभा द्वारा जनता तक ले जाएंगे.
दिल्ली मंत्रिमंडल की शनिवार को हुई बैठक में संविधान के विशेषज्ञ केके वेणुगोपाल तथा गोपाल सुब्रमण्यम की राय को रखा गया. दोनों की राय पर मंत्रिमंडल ने चर्चा की जिसके बाद विधान सभा का विशेष सत्र बुलाने का फैसला लिया गया.
शनिवार की मंत्रिमंडल की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि आवश्यकता हुई तो विधान सभा के इस सत्र को आगे बढ़ाया जा सकता है.
यानी दो दिनों के निर्धारित विशेष सत्र को आगे बढ़ाने का फैसला बाद में लिया जा सकता है.सनद रहे कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 18 मई को आदेश जारी किया कि उपराज्यपाल द्वारा किसी भी आदेश को विभागीय सचिव या मुख्य सचिव सबसे पहले उनके संज्ञान में लाएंगे. जब तक उन आदेशों पर मुख्यमंत्री से लिखित निर्देश न मिले, उपराज्यपाल के आदेश पर सचिव या मुख्य सचिव कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. उनके इस आदेश की आयु महज दो दिन रही.
गृह मंत्रालय ने मुख्यमंत्री की नहीं चलने दी. गृह मंत्रालय ने 19 मई को आदेश जारी किया कि संविधान की धारा 239 कक के अनुसार दिल्ली सरकार के पास लोक व्यवस्था, पुलिस, भूमि व सेवा दिल्ली विधान सभा के दायरे से बाहर है. इस आदेश के द्वारा यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि केन्द्र शासित प्रदेशों में यूटी काडर के अधिकारियों की सेवाएं गृह मंत्रालय से संचालित होती हैं. यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि नौकरशाहों के तबादलों के मामले में उपराज्यपाल को मुख्यमंत्री से मशविरा करना आवश्यक नहीं है.
लिहाजा गृह मंत्रालय ने अधिकारियों के मामले में अधिकारों को न सिर्फ उपराज्यपाल में निहित कर दिया बल्कि मुख्यमंत्री को महज मुखौटा साबित कर दिया. अधिसूचना के तुरन्त बाद मुख्यमंत्री ने संविधान विशेषज्ञ गोपाल सुब्रमण्यम से बैठक कर इस विषय पर गहन परामर्श किया.
फिर के के वेणुगोपाल से भी राय ली गई. दोनों की राय को शनिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में रखा गया जिसके बाद विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया गया. इस विशेष सत्र के दौरान अब गृह मंत्रालय की अधिसूचना पर दिल्ली सरकार व केन्द्र के बीच टकराव की स्थिति बन सकती है. गृह मंत्रालय की अधिसूचना के बाद केजरीवाल ने विशेष सत्र आहूत करने में महज 24 घंटे ही लगाए, लिहाजा यह निर्णय सीधे तौर पर केन्द्र व उपराज्यपाल से टकराव का संकेत है.
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