चौंकाने वाला होगा मध्यप्रदेश का आगामी विधानसभा चुनाव परिणाम
आगामी विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर बदलने वाली है। कांग्रेस और भाजपा के अलावा जिस तरीके से अन्य पार्टियां अपनी सक्रियता दिखा रही हैं, उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनाव का परिणाम ऐसा होगा, जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी।
![]() मध्यप्रदेश का आगामी विधानसभा चुनाव |
मध्य प्रदेश में 2018 से पहले किसी भी चुनाव में कभी सरकार कांग्रेस की बनती रही तो कभी भाजपा की। 2018 में भी कांग्रेस की सरकार बनी थी। लेकिन डेढ़ साल के बाद ही कांग्रेस की सरकार गिर गई थी, और भाजपा की तरफ से शिवराज सिंह चौहान एवं फिर सत्ता पर काबिज हो गए थे। 2023 के नवंबर में या उसके पहले मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव हो जाएंगे। विधानसभा चुनाव के बाद वहां की तस्वीर बदलने के पीछे की सबसे बड़ी वजह है, मध्यप्रदेश की छोटी पार्टियों का सक्रिय और कुछ संगठनों का सरकार के प्रति नाराज होना। जनवरी माह में करणी सेना ने 8 से लेकर 11 जनवरी तक विशाल धरना दिया था।
करणी सेना का वह धरना 21 सूत्रीय मांगों को लेकर था। उनकी मांगों में मुख्य रूप से आर्थिक आधार पर स्वर्णों को आरक्षण देने की बात की गई थी। बिना जांच किए स्वर्णों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई थी। उस धरने में लगभग दो लाख लोग शामिल हुए थे। आमतौर पर माना जाता है कि करणी सेना सदैव भाजपा का समर्थन करती रही है। लेकिन करणी सेना की नाराजगी मध्य प्रदेश की वर्तमान सरकार के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। इसी साल फरवरी माह में प्रदेश की राजधानी भोपाल में भीम आर्मी ने शक्ति प्रदर्शन किया था। उस शक्ति प्रदर्शन में लगभग डेढ़ लाख लोग शामिल हुए थे। उसका नेतृत्व आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण ने किया था। चंद्रशेखर रावण ने मध्यप्रदेश में शक्ति प्रदर्शन कर एक राजनीतिक जमीन तैयार करने की पहल कर दी है।
इसी साल मार्च के महीने में ही 14 तारीख को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ मिलकर एक रैली की थी। हालांकि उस रैली में ज्यादा भीड़ नहीं थी, फिर भी अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी ने वहां मजबूती से दस्तक दे दी। साथ ही साथ अरविंद केजरीवाल ने सिंगरौली की मेयर को अपनी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी घोषित कर दिया था। आगामी 14 अप्रैल को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर विपक्ष की एक बहुत बड़ी सभा होने जा रही है। इस सभा में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, समाजवादी पार्टी, आजाद समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के नेता शामिल होंगे। अखिलेश यादव, जयंत चौधरी और चंद्रशेखर रावण एक साथ मंच साझा करेंगे। यानी मध्यप्रदेश में इस बार छोटी पार्टियां भी ज्यादा सक्रिय हो गई हैं। बसपा वहां पहले से ही सक्रिय है, बल्कि 2018 के चुनाव में उसके दो प्रत्यासी चुनाव जीते भी थे।
आमतौर पर मध्यप्रदेश में जाति और धर्म के नाम पर वोटिंग करने का चलन नहीं है। ऐसे में छोटी पार्टियों के सक्रिय होने के बाद वहां की दो स्थाई पार्टियां कांग्रेस और भाजपा का नुकसान होना तय है। संभव है कि भाजपा का भी नुकसान हो,और कांग्रेस का भी। मध्यप्रदेश में हमेशा यही होता आया है कि एक बार कांग्रेस की सरकार बनती है तो एक बार भाजपा की 2018 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं। जबकि भाजपा 109 पर सिमट गई थी। 230 विधानसभा सीट वाले मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई थी।
लेकिन डेढ़ डेढ़ साल के बाद ही कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। उसके बाद भाजपा की तरफ से शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर सत्ता पर काबिज हो गए थे। मध्यप्रदेश में शुरू हुई राजनीतिक हलचल को देखते हुए एक बात आसानी से कही जा सकती है कि आगामी विधानसभा चुनाव का जो परिणाम आएगा वो निश्चित तौर पर चौंकाने वाला होगा, बल्कि संभव है कि छोटी पार्टियों के नेता किंगमेकर की भूमिका में नजर आएं।
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