शबाना आजमी 'टुकड़े-टुकड़े गैंग की एजेंट और स्लीपर सेल' : मप्र गृह मंत्री
भाजपा के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शुक्रवार को बॉलीवुड हस्ती शबाना आजमी को 'टुकड़े-टुकड़े गैंग का एजेंट और स्लीपर सेल' करार दिया।
![]() मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा |
मिश्रा ने 2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की रिहाई पर सवाल उठाने वाली शबाना आजमी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए टिप्पणी की।
यहां मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मिश्रा ने कहा कि जब गैर-भाजपा राज्य में अपराध होते हैं तो ये लोग एक शब्द भी नहीं बोलते हैं।
"झारखंड में एक नाबालिग लड़की की हत्या होने पर ये लोग चुप क्यों थे, उदयपुर हत्या पर उन्होंने एक शब्द क्यों नहीं कहा? क्योंकि वे केवल भाजपा शासित राज्यों में अपराध देखते हैं। ये लोग टुकडे- टुकडे गैंग के एजेंट और स्लीपर सेल हैं।"
मिश्रा ने कहा, "ये वही लोग हैं जिन्होंने पुरस्कार वापसी की पहल की थी।"
गुरुवार को एक निजी समाचार चैनल से बात करते हुए, शबाना आजमी ने कहा था, "बिलकिस बानो ने हिम्मत नहीं हारी। वह पूरे रास्ते लड़ी। उसने इन लोगों को दोषी ठहराया।"
क्या था मामला
बिलकिस बानो के मामले में 2008 में मिली थी उम्रकैद की सजा
मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को इन 11 लोगों को रेप और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। उनकी दोषसिद्धि को बंबई उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था। बिलकिस बानो के साथ जब सामूहिक बलात्कार किया गया था, उस वक्त वह 21 वर्ष की थी और उसे पांच महीने का गर्भ था। मारे गए लोगों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी।
15 अगस्त को रिहा हुए थे दोषी
इस साल जून में केंद्र सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के जश्न के मद्देनजर कैदियों की रिहाई से संबंधित विशेष दिशा निर्देश राज्यों को जारी किए थे। इसमें बलात्कार के दोषियों के लिए समय पूर्व रिहाई की व्यवस्था नहीं थी.बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के दोषी सभी 11 लोगों को भाजपा नीत गुजरात सरकार ने माफी नीति के तहत सजा माफी दे दी थी, जिसके बाद 15 अगस्त को उन्हें गोधरा उप-कारागार से रिहा कर दिया गया।
दोषियों की रिहाई से मेरी शांति भंग हो गई, मेरा न्याय पर से मेरा भरोसा उठ गया
सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए बिलकिस ने कहा था कि इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसला लेने से पहले किसी ने उनकी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा और ना ही उनके भले के बारे में सोचा। उन्होंने गुजरात सरकार से इस बदलने और उन्हें बिना डर के शांति से जीने का अधिकार देने को कहा था. बानो ने कहा था, ‘दोषियों की रिहाई से मेरी शांति भंग हो गई है और न्याय पर से मेरा भरोसा उठ गया है।’
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