इंदौर के 'मोती' को अपनी ‘हीर’ की तलाश, चिड़ियाघर प्रबंधन ढूंढ रहा देश भर में

Last Updated 25 May 2016 01:45:37 PM IST

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में रहने वाले मोती का अकेलापन दूर करने के लिए इन दिनों देश भर में उसकी ‘हीर’ की तलाश की जा रही है.


(फाइल फोटो)

मोती दरअसल इंदौर के कमला नेहरु प्राणी संग्रहालय (चिड़ियाघर) का हाथी है, जिसकी संगिनी चंपा हथिनी की पिछले साल मौत हो गई थी. अब उसके एकाकी जीवन को देखते हुए चिड़ियाघर प्रबंधन और वन विभाग पूरे देश में मोती के लिए उपयुक्त हीरे की तलाश कर रहा है.

संग्रहालय प्रभारी डॉ उत्तम यादव ने बताया कि मोती को फिलहाल न्यायालय के निर्देशानुसार चिड़ियाघर में तैयार कृत्रिम जंगलनुमा पिंजरे में रखा गया हैं. वह अभी स्वस्थ है. उसके लिए देश भर में हथिनी की तलाश की जा रही है.

सूत्रों के मुताबिक कम ऊंचाई वाले मकाना प्रजाति के हाथी मोती को 1984 में इंदौर चिड़ियाघर लाया गया था. असम में पाये जाने वाली इस प्रजाति की हथिनी चंपा 1980 से चिड़ियाघर में रह रही थी. मोती के यहां आते ही दोनों ने जोड़ी बना ली, जो 1984 से 2000 तक बच्चों में बेहद लोकप्रिय रही. दोनों अपनी पीठ पर बच्चों को खूब सवारी करवाते थे.

लेकिन तभी, चिड़ियाघर की मुख्य आकर्षण चंपा 2002 में अचानक अस्वस्थ हो गई, जिसके चलते दोनों को कुछ दिनों के लिए अलग-अलग कर दिया गया. इस कदम के बाद मोती का स्वभाव उग्र होता गया.

इस बीच कई बार दोनों को एक किया गया, लेकिन मोती के उग्र स्वभाव की वजह से जोड़ी दोबारा नहीं बन पाई. विशेषज्ञों की सलाह और पशु चिकित्सकों की देखरेख में मोती के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जाने लगी, लेकिन 2005 में मोती ने अपना खापा खो दिया और अपने वर्षों पुराने महावत पर हमला कर उसे गम्भीर रूप से घायल कर दिया. नियंत्रण से बाहर होने के चलते मोती को बेड़ियों में कैद कर रखना पड़ा. गुस्सैल मोती ने इस बीच कई बार बेड़ियों और दोनों के बीच बनी सीमेंट की दीवारों को तोड़ गिराया.

इस दौर में चिड़ियाघर प्रबंधन और वन विभाग ने मोती के मानसिक उपचार के लिए खूब प्रयास किये. इसी दौरान दिल्ली से आये एक विशेषज्ञ दल ने दोनों का परीक्षण कर बताया कि हाथी एक सामाजिक प्राणी है और मोती की चंपा से अलग होने के कारण यह दशा हुई है.

रिपोर्ट के मीडिया में आने के बाद इंदौर के एक पशु प्रेमी ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर कर दोनों को जंगल में छोड़ने की गुहार लगाई. अदालत ने दोनों को जंगल में छोड़ने के निर्देश दिए, लेकिन इसी दौरान केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने दोनों की जांच की तो पाया कि मोती हाथी दिमागी तौर पर संतुलित नहीं है. उसकी जंजीरों में ढील दी गई तो वह तोड़फोड़ कर खुद को घायल करने लगेगा. इस तथ्य से न्यायालय को अवगत कराया गया, जिसके बाद उसे चिड़ियाघर में तैयार किए गए जंगलनुमा पिंजरे में रखा गया.



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