टीकमगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के बाहरी प्रत्याशियों के बीच मुकाबला

Last Updated 15 Apr 2014 02:35:55 PM IST

बुंदेलखंड अंचल के तहत आने वाली टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में इस बार तेरह उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.


भाजपा-कांग्रेस के बाहरी प्रत्याशियों के बीच मुकाबला (फाइल फोटो)

इनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला दिखाई दे रहा है. यह दोनों ही प्रत्याशी बाहरी हैं.

इस सीट पर भाजपा ने अपने वर्तमान सांसद वीरेन्द्र खटीक को पुन: चुनाव मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने नए प्रत्याशी के रूप में डॉ कमल वर्मा, समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की पूर्व विधायक डॉ अमब्रेस कुमारी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सेवक राम अहिरवार को और आम आदमी पार्टी (आप) ने रमेश वर्मा को टिकट दिया है.

चुनाव आयोग द्वारा वर्ष 2008 में किए गए परिसीमन के बाद टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आयी, जिसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित श्रेणी में रखा गया है. यह इलाका लोकसभा क्षेत्र के रूप में पहले खजुराहो क्षेत्र में शामिल था. इस सीट पर पिछले चुनाव में सागर निवासी खटीक ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व विधायक वृन्दावन अहिरवार को 41,862 मतों से पराजित किया था.

इस क्षेत्र के तहत टीकमगढ़ जिले के पांच टीकमगढ़, निवाडी, पृथ्वीपुर, जतारा और खरगापुर जबकि छतरपुर जिले के महराजपुर, बिजावर और छतरपुर विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

इस बार यहां से सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवार बाहरी है. जिसमें खटीक पहले सागर क्षेत्र से चार बार सांसद रह चुके हैं और पिछले चुनाव में टीकमगढ़ सीट से पांचवी बार सांसद निर्वाचित हुए थे. यहां सांसद चुने जाने के बाद से उनके नाम पर कोई विशेष उपलब्धि दर्ज नहीं हुई. उनके प्रचार का काम पार्टी ने अपने विधायकों को सौंप रखा है. पार्टी विधायक उनके लिए संगठन के डर से बेमन से प्रचार में जुटे हुए हैं.

कांग्रेस ने यहां से उत्तर प्रदेश के महोबा निवासी डॉ वर्मा को चुनाव में उतारा है. उन्हें क्षेत्र में पैरासूट प्रत्याशी के रूप में जाना जा रहा है. वे दिल्ली से सीधे टिकट लेकर आए हैं. वे पार्टी कार्यकताओं के साथ ही इलाके के लिए पूरी तरह से अनजान हैं. उन्होंने वर्ष 2007 में उत्तर प्रदेश के चरखारी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन वे पराजित हो गए थे. जिसके बाद वे दिल्ली जाकर ठेकेदारी करने लगे थे. दिल्ली के संबधों के चलते वे इस बार यहां से टिकट पाने में कामयाब रहे.

सपा ने इस सीट पर कांग्रेस की तरह ही उत्तर प्रदेश की चरखारी विधानसभा सीट की पूर्व विधायक रहीं डॉ. कुमारी को टिकट दिया है.

वे चरखारी में वर्ष 2000 में जिला पंचायत सदस्य बनी थीं और उसके बाद 2002 में उन्होंने वहां से विधानसभा का चुनाव जीता था.

यहां उनके पक्ष में माहौल बनाने के लिए पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव सभा और रैली कर चुके हैं. नेताओं और कार्यकर्ताओं की कमी के चलते उत्तरप्रदेश के कुछ विधायकों को भी सामाजिक समीकरणों के हिसाब से यहां चुनाव प्रचार में लगाया गया है, जो लगातार उनको मतदाताओं के बीच पहचान दिलाने का प्रयास कर रहे हैं.

भाजपा प्रत्याशी खटीक के पक्ष में माहौल बनाने के लिए पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई सभाएं और रैलियां कर चुके हैं. खटीक को यहां जीत में अपने से ज्यादा मोदी लहर भरोसा है.

कांग्रेस प्रत्याशी वर्मा के लिए कांग्रेस के सभी नेता पूरी तरह से लगे हुए हैं. इनमें पार्टी के एक मात्र विधायक और विधानसभा चुनाव में पराजित हुए पार्टी प्रत्याशी शामिल हैं. वर्मा को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की बजाय से सभी स्थानीय नेताओं का पूरा सहयोग मिल रहा है.

इस क्षेत्र में जातिगत समीकरणों का ज्यादा महत्व न होने के कारण यहां पर चुनावी हार जीत का फैसला किसानों पर निर्भर करता है.

इस इलाके में गरीबी और बेरोजगारी प्रमुख मुद्दा है. राजनैतिक अनदेखी के चलते यह क्षेत्र गरीबी और अत्यंत पिछड़ेपन का शिकार है. इस चुनाव में भी हर बार की तरह ही धसान नदी पर ककरवाहा पिकअप बियर निर्माण, ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन के छतरपुर तक पूरा कराने जैसे चुनावी मुद्दे हैं.

इस क्षेत्र में विकास के नाम पर चंदेला और बुंदेला राजाओं के जमाने मे कराए गए विकास कामों के भरोसे आज भी आम आदमी का काम चल रहा है. आजादी के बाद से इस इलाके में पीने के पानी से लेकर सिंचाई और कोई बड़ा उद्योग धंधा आकार नहीं ले पाया है. यह हालत तब है जब यहां पर कई तरह के अकूत खनिज भंडार मौजूद हैं. इस संसदीय क्षेत्र में 15 लाख 28 हजार 407 मतदाता है, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या आठ लाख 20 हजार 268 है और महिला मतदाताओं की संख्या सात लाख आठ हजार 139 है.

टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में पूर्व में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल खजुराहो के नाम से गठित संसदीय क्षेत्र में शामिल था. इस क्षेत्र में अब तक हुए चुनावों में कांग्रेस ने सर्वाधिक सात बार और भाजपा ने छह बार जीत हासिल की है. यहां से दो बार समाजवादी नेता भी लेकसभा के लिए अन्य दलों से चुने गए हैं.

भाजपा की तेजतर्रार उपाध्यक्ष और अयोध्या विवाद से जुड़ी रहीं सुश्री उमा भारती के यहां से चुनाव लड़ने के कारण यह क्षेत्र देश के अतिमहत्वपूर्ण क्षेत्रों में शुमार रह चुका है. भारती यहां से चार बार सासंद चुनी गई हैं. इसके अलावा यहां से तत्कालीन महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा विद्यावती चतुर्वेदी और उनके बेटे सत्यव्रत चतुर्वेदी के चुनाव लड़ने के कारण भी यह क्षेत्र काफी चर्चित रह चुकी है.

1952 में अस्तित्व में आने के बाद यह क्षेत्र 1962 से लेकर 1971 तक टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के रूप में जानी जाती थी इसके बाद इसे फिर से खजुराहो लोकसभा क्षेत्र के रूप में पहचाना जाने लगा.



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