सागर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला

Last Updated 13 Apr 2014 02:29:38 PM IST

मध्यप्रदेश के बुदेंलखंड अंचल के तहत आने वाली सागर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के बीच ही मुकाबला होता दिख रहा है.


sagar constituency

भाजपा के अभेद गढ के रुप में स्थापित हो चुके इस क्षेत्र में इस बार कांग्रेस ने जबरदस्त किलेबंदी की है. कांग्रेस ने इस क्षेत्र में इस बार स्थानीय प्रत्याशी के रुप में पूर्व विधायक गोविंद राजपूत को मैदान में उतारा है. वे इस क्षेत्र के तहत आने वाली सुरखी विधानसभा सीट से दो बार कांग्रेस विधायक रह चुके हैं और पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी से महज 142 मतों से पराजित हुए थे.

\"\"प्रदेश में सत्तारुढ दल भाजपा ने इस बार पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं की दावेदारी को दरकिनार करते हुए कई दलों से होकर पार्टी में आए 70 साल के लक्ष्मीनारायण यादव को मैदान में उतारा है.

इस क्षेत्र से प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव अपने बेटे अभिषेक और परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह अपनी पत्नी सरोज सिंह के लिए टिकट के लिए दावेदारी कर रहे थे. इन दोनों ही मंत्रियों का स्थानीय राजनीति में काफी प्रभाव भी है. दोनों नेताओं की दावेदारी को दरकिनार कर पार्टी द्वारा लिए गए निर्णय से यहां पार्टी कार्यकर्ताओं और ब्राहमण एंव दांगी समुदाय में काफी अंसतोष है.

आम आदमी पार्टी से अतुल मिश्रा और बहुजन समाज पार्टी से सुश्री सरोज कटारिया मैदान में हैं. इनके अलावा छह अन्य उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

सागर लोकसभा क्षेत्र में सागर जिले की पांच विधानसभा सागर, सुरखी,खुरई,बीना, नरियावली और विदिशा जिले की तीन कुरबाई,शमशाबाद और सिरोंज सीट शामिल है, जिनमें से सात सीटों पर भाजपा का और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है.

इस क्षेत्र में 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी भूपेन्द्र सिंह ने पूर्व ओलंपिक हाकी खिलाडी और कांग्रेस नेता असलम शेर खान को लगभग एक लाख 32 हजार मतों से पराजित किया था. उस समय सिंह को तीन लाख 23 हजार 954 मत मिले थे. यह सीट 2009 तक अनूसूचित जाती वर्ग के लिए आरक्षित थी और बीते चुनाव के पहले हुए परिसीमन में सामान्य घोषित हुई थी.

यह क्षेत्र पहली बार 1951 में अस्तित्व में आयी थी. तब से लेकर अब तक हुए 14 लोकसभा चुनावों में यहां पर कांग्रेस और भाजपा ने छह-छह बार और जनसंघ और लोकदल ने एक-एक बार जीत दर्ज की है. वर्ष 1984 तक हुए चुनाव में यहां पर कांग्रेस का दबदबा रहा. उसके बाद के चुनाव में भाजपा ने अपना दबदबा कायम करते हुए विजय हासिल की.

भाजपा के वीरेन्द्र खटीक इस क्षेत्र में एक मात्र ऐसे प्रत्याशी रहे जिन्होंने चार बार लगातार जीत हासिल की. वे वर्तमान में सागर संभाग की टीकमगढ लोकसभा क्षेत्र के निवृतमान सासंद हैं और उन्हें पार्टी ने एक बार फिर वहीं से प्रत्याशी बनाया है.

भाजपा प्रत्याशी यादव का यह पांचवा चुनाव है. उन्होंने सभी चुनाव अलग-अलग दलों के टिकट पर अलग-अलग सीटों के लिए लडे थे, जिसमें से वे तीन चुनावों में पराजित हुए और दो चुनावों में उन्होंने जीत दर्ज की थी. हालांकि उन दो चुनावों में उन्हें सरकार विरोधी लहर का फायदा मिला था.

\"\"यादव को पार्टी ने ऐसे समय प्रत्याशी बनाया जब उनके खिलाफ कुछ दिनों पहले ही हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ भितरघात की शिकायतें संगठन को मिली थी. संगठन ने इसके चलते उन्हें कुछ दिनों पहले कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. यादव को पार्टी प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद से इलाके के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों में नाराजगी भी देखी जा रही है.

सागर संसदीय क्षेत्र में इस बार जातीय ध्रुवीयकरण तेजी से होता दिख रहा है. इस इलाके में ब्राहमण, दांगी और जैन समाज भाजपा से अपनी समाज की उपेक्षा से नाराज चल रहे हैं. इस क्षेत्र में इन तीनों ही समाज के लोगों के अलावा यादव समाज के मतदाताओं की संख्या काफी है.

इस क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला होने की वजह से अभी तक दोनो दलों की ओर से पार्टी के प्रदेश स्तरीय बड़े नेताओं द्वारा चुनावी सभाएं कर अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे जा चुके हैं. फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि दोनो में से जीत किसकी होगी.

इस क्षेत्र में प्रदेश में होने वाले दूसरे चरण के तहत 17 अप्रैल को मतदान होना है, जिसमें 15 लाख 485 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग कर सकेगें. इनमें आठ लाख 71 हजार पांच पुरुष और छह लाख 97 हजार 678 महिलाएं और 57 अन्य मतदाता हैं.



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