मध्य प्रदेश में एनएचआरएम योजना संकट में
मध्य प्रदेश में ग्रामीण इलाकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने के लिए चल रही राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन योजना संकट में पड़ गई है.
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ऐसा राज्य सरकार द्वारा अनुबंध का नवीनीकरण न कराए जाने के चलते हुआ है.
अनुबंध की अवधि पूरी होने से इस योजना के अधीन कार्यरत हजारों कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है.
राज्य के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने के लिए केंद्र सरकार की मदद से वर्ष 2005 में एनआरएचएम योजना शुरू की गई थी.
राज्य व केंद्र सरकार के बीच हुए करार के मुताबिक यह योजना 31 मार्च 2012 तक के लिए थी. इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए राज्य व केंद्र सरकार के स्वास्थ्य महकमे के बीच अनुबंध का नवीनीकरण आवश्यक था, जो नहीं कराया गया.
मध्य प्रदेश देश के उन राज्यों में से एक है जहां मातृ व शिशु मृत्युदर सबसे ज्यादा है. इसीलिए राज्य के ग्रामीण इलाकों में मातृ मृत्युदर, शिशु मृत्युदर कम करने के साथ संस्थागत प्रवास बढ़ाने के मकसद से एनआरएचएम की शुरुआत हुई थी. बीते सात वर्षो में कुछ हालात सुधरे भी हैं. इसी योजना के अधीन प्रजनन व स्वास्थ्य कार्यक्रम, टीकाकरण कार्यक्रम, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण और जननी सुरक्षा जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.
सीधे तौर पर कहा जाए तो ग्रामीण इलाकों की सारी स्वास्थ्य सुविधाएं एनआरएचएम के जरिये ही चल रही है, अब यही योजना संकट में पड़ गई है.
इसके लिए कोई और नहीं, बल्कि विभागीय लापरवाही को अहम माना जा रहा है, क्योंकि विभाग की ओर से योजना के नवीनीकरण के लिए नियत तिथि तक कोई प्रयास ही नहीं किया गया. वहीं, अन्य राज्यों ने योजना का नवीनीकरण करा लिया है.
योजना का नवीनीकरण न होने से उन कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है जो अनुबंध के आधार पर काम कर रहे हैं.
इस योजना में अधिकांश कर्मचारी अनुबंध के आधार पर ही कार्यरत हैं. योजना की करार अवधि खत्म हो जाने के साथ ही कार्यरत कर्मचारियों का अनुबंध भी स्वत: खत्म हो गया है.
स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त जे.एन. कांसोटिया से जब योजना की स्थिति के संदर्भ में चर्चा की तो उनका कहना था कि राज्य में यह योजना चलती रहेगी, फिलहाल केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग से विचार-विमर्श चल रहा है, क्योंकि यह योजना केंद्र सरकार की है.
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