झारखंड : झाविमो प्रमुख मरांडी की 13 सालों के 'वनवास' बाद होगी 'घर वापसी'!

Last Updated 10 Feb 2020 04:54:28 PM IST

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की रविवार को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बड़े नेताओं के साथ हुई मुलाकात के बाद यह तय हो गया है कि मरांडी 13 साल बाद पुन: भाजपा में शामिल हो जाएंगे।


झाविमो के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी(फाइल फोटो)

झाविमो के एक नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर  कहा, "17 या 23 फरवरी को रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में झाविमो अध्यक्ष भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की मौजूदगी में पार्टी का दामन थामेंगे। वैसे ज्यादा उम्मीद है कि 17 फरवरी को रांची में एक भव्य आयोजन किया जाएगा, जहां झाविमो का भाजपा में विलय हो जाएगा। इस मौके पर भाजपा के कई बड़े नेता उपस्थित रहेंगे।"

सूत्रों का कहना है कि मरांडी ने रविवार को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष ज़े पी़ नड्डा और ओम माथुर से मुलाकात की थी, जहां दोनों दलों ने इस मुद्दे पर सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली। इस विलय को लेकर सभी कानूनी पहलुओं पर भी चर्चा की गई है। भाजपा सूत्रों ने झारखंड भाजपा को इस आयोजन की तैयारी करने के निर्देश भी दिए हैं।

झाविमो के रांची महानगर अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा इस मुद्दे पर कुछ स्पष्ट नहीं कहते हैं, परंतु उन्होंने इतना जरूर संकेत दिया कि 11 फरवरी को झाविमो के कार्यकारिणी समिति की बैठक होगी, जिसमें सबकुछ तय कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई बातें मीडिया आ रही हैं।

झारखंड भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शहदेव ने कहा, "बाबूलाल जी एक बड़े नेता हैं। उनकी पार्टी के विलय के संबंध में कोई भी फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा। अभी तक प्रदेश भाजपा को इस बारे में कोई सूचना नहीं है। इस मामले पर फैसला होने के बाद मीडिया को सूचित किया जाएगा।"

शहदेव ने यह भी कहा कि मरांडी जी अगर भाजपा में आते हैं तो पार्टी को मजबूती मिलेगी।

उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद से ही झाविमो के भाजपा में विलय को लेकर चर्चा चल रही है। रविवार को दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं और मरांडी की मुलाकात के बाद यह साफ हो गया कि बाबूलाल मरांडी की भाजपा में वापसी तय है।

सूत्रों का कहना है कि झाविमो के भाजपा में विलय के बाद बाबूलाल मरांडी को झारखंड में कोई बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है।

गौरतलब है कि इस विलय को लेकर मरांडी ने पिछले कई दिनों से तैयारी प्रारंभ कर दी थी। पिछले दिनों मरांडी ने अपनी पार्टी की नई कार्यकारिणी बनाई थी, जिसमें उनके करीबियों को महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया गया था, ताकि विलय को लेकर किसी प्रकार का विरोध या कानूनी अड़चन न पैदा हो जाए।

विधानसभा चुनाव में झाविमो को तीन सीटों पर जीत मिली थी, जिनमें से दो विधायकों प्रदीप यादव और बंधु टर्की को पार्टी विरोधी कार्य में शामिल होने के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। ये दोनों विधायक प्रारंभ से ही पार्टी के भाजपा में विलय के विरोध का स्वर मुखर कर रहे थे।

झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे और तब भाजपा के दिग्गज नेता मरांडी ने 2006 में भाजपा से अलग होकर नई पार्टी बना ली थी। उनकी पार्टी का हालांकि किसी भी चुनाव में प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा और उसका ग्राफ लगातार गिरता गया। 2009, 2014 और 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी को क्रमश: 11, आठ और तीन सीटों पर ही जीत मिली।

आईएएनएस
रांची


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