झारखंड में बंद के दौरान हिंसा की छिटपुट घटनाएं

Last Updated 26 Nov 2016 10:42:49 AM IST

झारखंड में विपक्षी पार्टियों की ओर से शुक्रवार को आहूत राज्यव्यापी बंद के दौरान साहिबगंज जिले में एक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हवा में गोलियां चलानी पड़ी




झारखंड में बंद के दौरान हिंसा की छिटपुट घटनाएं (फाइल फोटो)

वहीं दुमका जिले में बंद समर्थकों ने छह वाहनों को आग के हवाले कर दिया जबकि पूरे राज्य में बंद के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ.
   
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि साहेबगंज जिले के बरहट इलाके में बंद समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी . बंद समर्थक पुलिसकर्मियों पर तीर चला रहे थे जिसमें तीन पुलिसकर्मी जख्मी हो गए.  
   
पुलिस उपाधीक्षक :डीएसपी: बैद्यनाथ प्रसाद ने बताया कि जख्मी पुलिसकर्मी बृजेंद्र कुमार की दायीं कान तीर लगने की वजह से कट गई . इसके बाद पुलिस ने बंद समर्थकों पर जवाबी कार्रवाई की. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में 10 चक्र गोलियां चलाई .  
   
साहेबगंज के पुलिस अधीक्षक (एसपी) पी मुरूगन भी हालात का जायजा लेने के लिए मौके पर पहुंचे.

दुमका जिले में एक बस और ट्रकों सहित छह वाहनों को फूंक दिया गया जबकि पूर्व सिंहभूम जिले में बंद समर्थकों ने एक ट्रक और एक डंपर को आग के हवाले कर दिया.
   
पुलिस अधीक्षक माइकल राज एस ने कहा कि पश्चिम सिंहभूम जिले में बंद समर्थकों ने एक ट्रक पर हमला कर दिया जो लाखों रूपये कीमत के सिक्के लेकर जा रहा था. हमले में ट्रक चालक जख्मी हो गया.
   
उन्होंने कहा कि बंद समर्थकों, पुलिस और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि ट्रक पटना स्थित आरबीआई से सिक्कों को लेकर जा रहा है .
सूचना मिलने पर पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और सुनिश्चित किया कि चक्र धरपुर तक ट्रक सुरक्षित पहुंच जाए.
   
बंद समर्थकों ने राज्य में कई जगहों पर टायर जलाकर सड़क जाम कर दिया जिससे सड़क यातायात प्रभावित हुआ.
   
कई दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे जबकि लंबी दूरी की बसें भी सड़कों से नदारद रहीं. बंद से खनन क्षेत्र भी प्रभावित हुआ.
   
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने दशकों पुराने छोटानागपुर और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एंड एसपीटी) को 23 नवंबर को पारित किए जाने के विरोध में बंद का आह्वान किया था. उनका दावा है इससे आदिवासियों के हित प्रभावित होंगे.

भाषा


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