झामुमो ने राष्ट्रपति से सीएनटी, एसपीटी संशोधन अध्यादेश को वापस करने की मांग की

Last Updated 03 Aug 2016 12:36:31 PM IST

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मंगलवार को नयी दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर राज्य सरकार द्वारा प्रेषित सीएनटी, एसपीटी संशोधन अध्यादेश को बिना मंजूरी के वापस करने की मांग की.


फाइल फोटो

झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा मंगलवार जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि झामुमो विधायक दल के नेता हेमंत सोरेन ने अपने विधायकों के साथ मंगलवार को नयी दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि राज्यपाल द्रौपदी मुमरू द्वारा जून माह में भेजे गये छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) एवं संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी) में प्रस्तावित संशोधनों से जुड़े सीएनटी एवं एसपीटी संशोधन अध्यादेश को वह बिना मंजूरी के राज्य सरकार को वापस कर दें.
    
पार्टी ने राष्ट्रपति से कहा कि इन अधिनियमों से झारखंड में आदिवासी और मूलवासियों के हितों की रक्षा होती है, लेकिन राज्य सरकार आनन फानन में इसमें संशोधन कर उद्योगपतियों और भूमाफियाओं को लाभ पहुंचाना चाहती है.
    
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने विधानसभा सत्र सामने होते हुए भी इस मुद्दे पर विधानसभा में बहस कराकर अधिनियम में संशोधन करने की बजाय अध्यादेश का रास्ता अपनाया जो गैरलोकतांत्रिक है.

झामुमो ने विज्ञप्ति में बताया है कि राष्ट्रपति भवन में विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने राष्ट्रपति को अपने विधायकों के साथ मिलकर पार्टी के अभिमत से अवगत कराया.
    
इससे पूर्व 29 जुलाई को संपन्न विधानसभा के मानसून सत्र में भी झामुमो ने इस मुद्दे को लेकर विधानसभा में कई दिनों तक हंगामा किया था.
    
राज्य सरकार ने जून में कैबिनेट से इन अधिनियमों में संशोधन अध्यादेश पारित कराकर राज्यपाल के माध्यम से इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए प्रेषित किया है. सरकार ने दावा किया है कि नये संशोधनों में स्कूल, कालेज, पुलिया आदि के लिए भी चार गुना मुआवजे के साथ आदिवासी भूमि क्रय किये जाने की व्यवस्था की गयी है जो पूरी तरह से आदिवासी समाज के हित में है. उसने दावा किया कि इससे राज्य के विकास में भी मदद मिलेगा.



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