झारखंड में आदिवासी-गैर आदिवासी मुख्यमंत्री मुद्दा नहीं: मुंडा

Last Updated 12 Dec 2014 04:45:43 PM IST

अर्जुन मुंडा ने कहा है कि झारखंड में स्थायी सरकार और विकास मुद्दा है न कि अगला मुख्यमंत्री आदिवासी होगा या गैर आदिवासी.


अर्जुन मुंडा (फाइल)

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता अर्जुन मुंडा ने कहा है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री आदिवासी होगा या गैर आदिवासी यह मुद्दा नहीं है बल्कि विकास और स्थायित्व मुख्य मुद्दा है.
         
मुंडा ने बातचीत में कहा कि इस बार विधानसभा चुनाव में विकास और स्थायी सरकार को लेकर मतदाता वोट डाल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि प्रदेश का चहुमुंखी विकास केवल भारतीय जनता पार्टी ही कर पायेगी. परिवारवाद की राजनीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में किसी परिवार का कोई सदस्य राजनीति में आता है तो उसे रोका नहीं जा सकता है इसे रोकने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा.

मुंडा ने कहा कि झारखांड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के 14 महीने के कार्यकाल में राज्य का क्या विकास हुआ यह उन्हें बताना चाहिए.

उन्होंनें कहा कि दरअस सोरेन के कार्यकाल में कोई विकास नहीं हुआ इसलिए वह 14 साल बनाम 14 महीने का नारा दे रहे हैं लेकिन इस नारे का जनता में उलटा असर हो रहा है क्योंकि राज्य की जनता सब कुछ जानती हैं.

मुंडा ने कहा कि हेमंत सोरेन जिस गठबंधन सरकार के मुखिया है उसी गठबंधन सरकार के मंत्रियों के खिलाफ वह चुनाव अभियान चला रहे हैं. लोकतंत्र लोकलाज से चलता है और इसमें नैतिक आचरण का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं इसलिए सोरेन को अपने मंत्रियों के खिलाफ चुनाव प्रचार करने से पहले अपने पद से हट जाना चाहिए था लेकिन सुविधा के लिए वह पद से चिपके हैं.
       
उन्होंने कहा कि झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पहचान भाजपा से ही बनी थी और भाजपा ने उन्हें सांसद केन्द्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री बनाया तब तो उनके लिए भाजपा अच्छी पार्टी थी लेकिन अब जब वह दूसरे दल में चले गये तो भाजपा उनकी नजर में अच्छी नहीं रहीं.
     
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री मरांडी ने आत्म विश्वास खो दिया है इसलिए ये दोनों नेता दो-दो स्थानों से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि इन दोनों नेताओं को राज्य  की सभी 81 विधानसभा क्षेत्रों से नामांकन करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि सोरेन पहली बार दुमका से विधायक बने है और इस बार वह दुमका (अजजा) के अलावा बरहेट (अजजा) विधानसभा से भी चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन जनता उन्हें पहचान चुकी हैं.

उन्होंने कहा मरांडी पहली बार रामगढ़ से विधायक बने लेकिन इस बार वह धनवार और गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि मरांडी पहले दुमका से और बाद कोडरमा से लोकसभा चुनाव लड़े हैं लेकिन किसी भी एक स्थान पर वह अपने को टिका नहीं पाये इसलिए उन्हें बार-बार क्षेत्र बदलना पड़ रहा है. SHOW_MID_AD__

 



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