नक्सल रोधी अभियान:जंगलों में तैनात हुआ महिला कमांडो दस्ता
देश के इतिहास में पहली बार महिला सैनिकों के एक खास दस्ते को नक्सलियों के खिलाफ अभियान के मकसद से घने जंगलों में तैनात किया गया है.
महिला कमांडो दस्ता |
खाकी वर्दी से लैस सीआरपीएफ कमांडो में इनके प्रवेश के साथ भारत ऐसे कुछ चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है जिसने संघर्ष के सबसे हिंसक और बड़े खतरे वाले क्षेत्र में महिलाकर्मियों को तैनात किया है.
देश के सबसे बड़े अद्धैसैनिक बल सीआरपीएफ के आला सूत्रों ने बताया कि हाल में उसने अपने महिला कमांडो के दो छोटे दस्तों को अपने पुरूष सहयोगियों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर नक्सिलियों से मुकाबले के लिए भेजा है.ये दस्ता ना केवल वहां तैनात हैं बल्कि गश्त भी कर रहा है.
एक टुकड़ी छत्तीसगढ़ के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित बस्तर में अभियान चला रही है तो दूसरी टुकड़ी को झारखंड में एक अज्ञात जगह पर भेजा गया है.
घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि माओवाद प्रभावित इन राज्यों में इन ठिकानों पर जरूरी सुविधाएं तैयार करने के बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने एक प्लाटून ‘प्रत्येक में करीब 25 महिलाएं’ की दो महिला टुकड़ियों को तैनात किया है.
एक सूत्र ने बताया, ‘पहली बार है जब महिलाओं को अति जोखिम और संवेदनशील इलाके में तैनात किया है, जहां नक्सलवादियों से अक्सर और विविध रूप से सामना होता रहता है. एक पखवाड़ा पहले दस्तों को दोनों स्थानों पर तैनात किया गया और वे अभियान शुरू कर चुके हैं.’
अधिकारियों ने बताया कि ऐसे इलाके में इन महिला कर्मियों की तैनाती के खास कारण और सामरिक फायदे हैं.
वे स्थानीय महिलाओं से संवाद कर सकती है. इससे बेहतर खुफिया जानकारी तो मिलेगी ही सुरक्षाबल भी ग्रामीणों के निकट आ पाएंगे. इस तरह का एक मॉडल पश्चिम बंगाल में सफल रहा जहां नक्सल आंदोलन कमजोर पड़ा है.
सूत्रों ने बताया, ‘महिलाओं को ऐसे अभियानों में बढ़त मिलती है. सबसे महत्वपूर्ण आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से मुकाबले की तैयारियों के लिए इस नये खाके के तहत महिला क्षमता के इस्तेमाल की जरूरत को महसूस किया गया. सुरक्षाबलों के लिए स्थानीय लोगों और आदिवासी महिलाओं में अच्छे दोस्त बनाने में मदद मिलेगी तथा मानव अधिकार उल्लंघनों की घटनाओं भी रूकेंगी.’
नक्सल रोधी अभियान ग्रिड में काम कर रहे अधिकारियों ने बताया कि महिलाकर्मियों की तैनाती की योजना पिछले साल के मध्य में बनी थी और इसे अब शुरू किया गया.
उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन महिला कर्मियों को तैनात किये जाने से पहले सीआरपीएफ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी.
मौजूदा नीति के मुताबिक, सेना या अर्धसैनिक बलों में महिला अधिकारियों या सैनिकों को उन इलाकों में नहीं शामिल किया जाता जहां पर दुश्मन की गोलियों से सीधा सामना करने का खतरा होता है.
सभी पुलिस और अद्धैसैनिक बलों में सीआरपीएफ के पास सबसे ज्यादा महिला सुरक्षा कर्मी है. बल अगले पांच साल में 2,000 और महिला कांस्टेबलों को शामिल करने की योजना बना रहा है जिससे वर्दीधारी महिलाओं की मौजूदा 3,000 की क्षमता बढ़कर 5,000 हो जाएगी.
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