नेतृत्व का मुद्दा तय हो तो झारखंड में कांग्रेस से महागठबंधन को तैयार : मरांडी
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भाजपा के खिलाफ बनने वाले महागठबंधन में शामिल होने को तैयार हैं.
बाबूलाल मरांडी (फाइल फोटो) |
मरांडी ने गुरुवार को दो टूक शब्दों में कहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर राज्य में भाजपा के खिलाफ बनने वाले महागठबंधन में शामिल होने के लिए वह तैयार हैं बशर्ते यह पहले तय कर लिया जाये कि महागठबंधन का नेतृत्व किसके हाथ में होगा.
मरांडी ने रांची में संवाददाताओं से कहा कि वह झारखंड में जनता के हित में महागठबंधन बनाये जाने के पक्ष में हैं और निश्चित रूप से इससे धर्मनिरपेक्ष मतों का बंटवारा रोकने में सहायता मिलेगी. उन्होंने हालांकि कहा कि ऐसा कोई गठबंधन बनाने से पहले यह तय होना आवश्यक है कि इस गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा?
क्या मरांडी चाहते हैं कि झारखंड में कोई भी महागठबंधन उनके ही नेतृत्व में बने? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘नहीं बिलकुल नहीं. मैं यह चाहता हूं कि जो भी महागठबंधन बने, वह स्थाई हो और चुनाव के बाद उसमें नेतृत्व को लेकर संघर्ष न हो.’’
उन्होंने कहा, ‘‘झारखंड में सत्ता के लालच और मुख्यमंत्री बनने की होड़ में कई सरकारें गिर चुकी हैं. लिहाजा यह मुद्दा तय किये बिना महागठबंधन बनाकर चुनावों में जाने से जनता का विास जीता नहीं जा सकता.’’
इससे पहले यहां 22 सितंबर को कांग्रेस ने राज्य में अपने प्रभारी बी के हरि प्रसाद की उपस्थिति में वरिष्ठ नेताओं की बैठक में फैसला किया था कि वह झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव बिहार की तर्ज पर सत्ताधारी गठबंधन के अपने सहयोगियों झारखंड मुक्ति मोर्चा और आरजेडी के अलावा जेडीयू के साथ भी महागठबंधन बनाकर लड़ेगी ताकि भाजपा के यहां सत्ता में वापसी के सपने को चकनाचूर किया जा सके.
झारखंड के कांग्रेस प्रभारी बी के हरिप्रसाद ने इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की गहन बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में घोषणा की थी कि सहयोगी दलों में भी इस बात पर सहमति बनी है कि हर हाल में राज्य में भाजपा को सत्ता में आने से रोकना है.
इस बीच, नयी दिल्ली में राहुल गांधी की उपस्थिति में एक बार फिर बुधवार को राज्य में महागठबंधन बनाने के मुद्दे पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं में मंत्रणा हुई. इस मंत्रणा के दौरान झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुखदेव भगत, झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता और राज्य के वित्त मंत्री राजेन्द्र प्रसाद सिंह और प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी बी के हरि प्रसाद भी उपस्थित थे.
कांग्रेस नेताओं ने अभी इस बैठक के बारे में विस्तृत खुलासा नहीं किया है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने बताया कि दोनों दलों के नेताओं ने दिल्ली में राज्य में महागठबंधन की शर्तों पर विस्तार से बातचीत की. दोनों दलों के नेताओं में इस गठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल को भी शामिल करने पर सहमति है.
मरांडी ने स्पष्ट कहा कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 81 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होंगे.
उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस और भाजपा विरोधी अन्य दल उनकी शर्तों को मानते हैं तो उन्हें सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी के बावजूद महागठबंधन में शामिल होने से गुरेज नहीं होगा.
उनसे पूछा गया कि यदि झारखंड में झाविमो की इतनी पकड़ है तो आखिर इस वर्ष हुए लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी को राज्य की 14 में से एक भी लोकसभा सीट पर सफलता क्यों नहीं मिली? इस पर मरांडी ने कहा, ‘‘भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियां ब्रांडिंग पर चलती हैं और भाजपा ने खुद को बड़े ब्रांड के रूप में पेश कर लोकसभा चुनावों में सफलता हासिल की लेकिन उनका गुमान पिछले माह विभिन्न राज्यों में हुए उपचुनावों में ही टूट गया.’’
मरांडी ने कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव बिल्कुल अलग मुद्दों पर लड़े जायेंगे और इन पर राज्य में हुए लोकसभा चुनावों के परिणाम का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
इस साल के लोकसभा चुनावों में बाबूलाल मरांडी की पार्टी को राज्य में एक भी सीट पर सफलता नहीं मिली थी जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने राज्य की कोडरमा सीट से चुनाव जीता था. बाद में जमशेदपुर सीट पर हुए उपचुनाव में भी उनकी पार्टी के उम्मीदवार डॉ. अजय कुमार ने जीत दर्ज की जिससे लोकसभा में झाविमो के दो सांसद हो गये. हालांकि लोकसभा चुनाव में हार के बाद अजय कुमार ने झाविमो छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया है.
वर्ष 2009 के झारखंड विधानसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस और झामिवो ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने 56 सीटों पर चुनाव लड़कर 14 सीटें और झाविमो ने 25 सीटों पर चुनाव लड़कर 11 सीटें जीती थीं.
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