गुड़गांव फूड अवार्डस में लोकल व्यंजन रहे नदारद

Last Updated 05 May 2014 01:13:19 PM IST

गुड़गांव में हाल में अपनी तरह के पहले फूड फ्रीक अवार्डस का आयोजन किया गया.


फूड अवार्डस

फूड फ्रीक अवार्डस की सह संस्थापक शिवानी गुप्ता ने कहा कि वह खान-पान की काफी शौकीन हैं और गुड़गांव में सर्वश्रेष्ठ रसोइये को पुरस्कृत करना चाहती थीं. विगत 10 वर्षों से गुड़गांव में रह रहीं शिवानी ने भोजन के प्रति बढ़ते प्रेम को देखा है.

गुप्ता ने कार्यक्रम के बाद कहा, ‘एक दशक पहले अच्छा चाइनीज व्यंजन खाने के लिए मुझे दिल्ली जाना पड़ता था लेकिन अब मुझे गुड़गांव के बाहर नहीं जाना पड़ता.’

पुरस्कार में न सिर्फ गुड़गांव के रेस्त्राओं को शामिल किया गया बल्कि घर में खाना पकाने वालों को भी शामिल किया गया.

‘बेस्ट होम बेकर्स’ श्रेणी में जूरी पुरस्कार जीतने वाली सोनिका सिंह ने कहा, ‘हमें फेसबुक पर उनके पन्ने से पुरस्कार के बारे में जानकारी मिली. हमने इसको फॉलो किया और उसके बाद अपनी प्रविष्टि दी. यह हमारे जैसी घर पर खाना पकाने वालों के लिए शानदार अवसर है.’

मशहूर शेफ और ‘मास्टर शेफ इंडिया’ के प्रस्तोता कुणाल कपूर पैनल में एक निर्णायक के तौर पर शामिल थे. कपूर गुड़गांव में ही रहते हैं.

कपूर ने कहा, ‘यह देखकर अच्छा लग रहा है कि खाना व्यापार के रूप में बढ़ रहा है. गुड़गांव के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यहां कोई दिखावा नहीं है. वे विनम्र हैं और सर्वश्रेष्ठ व्यंजन परोसने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि दिल्ली और मुंबई में वे काफी माहौल बनाने की कोशिश करते हैं.’  हालांकि, गुड़गांव फूड अवार्डस में कुछ भी क्षेत्रीय नहीं है. इसमें भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने उत्तर भारतीय व्यंजनों से लेकर स्पैनिश व्यंजन प्रस्तुत किए लेकिन इसमें हरियाणवी व्यंजन नहीं पेश किया गया.

कपूर ने कहा, ‘स्थानीय हरियाणवी व्यंजन को बढ़ावा देने की जरूरत है. गुड़गांव के बाहर का सर्वव्यापी व्यंजन आ रहा है लेकिन क्षेत्रीय टच का अभाव है.’ कपूर की जल्द ही एक कुकबुक ‘ए शेफ इन एवरी होम’ आने जा रही है.

इस बात से पैनल में शामिल एक अन्य निर्णायक सव्यसाची गोरई ने भी सहमति जताई. वह साबी के नाम से जाने जाते हैं.

गोरई को पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ‘भारत के सर्वश्रेष्ठ शेफ’ के खिताब से नवाजा है. उन्होंने कहा, ‘मैंने स्थानीय टच नहीं देखा. हो सकता है लोगों को इस संबंध में और प्रयास करने की आवश्यकता हो. कुछ भी हरियाणवी नहीं था. मुंबई में स्थानीय खाद्य पदार्थ को लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया जाता है.’


 



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