नक्सलियों की दहशत, नहीं मिल पा रही शवों को जलाने के लिए लकड़ी
बस्तर संभाग में नक्सलियों की दहशत के कारण शवों के लिए जलाऊ लकड़ी का संकट गहरा सकता है.
शवों को जलाने के लिए लकड़ी नहीं (फाइल फोटो) |
मानसून में नक्सलियों की दहशत और पिछले चार साल से जंगलों की कटाई और परिवहन पर वन विभाग के प्रतिबंध के कारण सरकारी जलाऊ डिपो खाली पड़े हैं.
बस्तर वनमंडल में पिछले कुछ वर्षों से नक्सल समस्या के कारण दरभा, कोलेंग और चित्रकोट परिक्षेत्र में जंगलों से कटाई का कार्य बंद है. सिर्फ माचकोट और जगदलपुर परिक्षेत्र के अलावा मामूली रूप से भानपुरी परिक्षेत्र के वन कक्षों में कटाई हो रही है.
इन क्षेत्र में कटाई का कार्य तो काफी मात्रा में कर लिया गया, लेकिन नक्सली चेतावनी के बाद परिवहन कार्य नहीं होने से लगभग आठ हजार घनमीटर काष्ट और लगभग तीन हजार घनमीटर से ज्यादा जलाऊ लकड़ी जंगलों में सड़ रही है.
बारिश होने के बाद आने वाले पांच महीने इनका परिवहन की उम्मीद भी नहीं है. ऐसी स्थिति में आने वाले दिनों में शवदाह के लिए भी जलाऊ लकड़ी उपलब्ध हो पाना संभव नहीं होगा.
केंद्रीय जलाऊ डिपो के प्रभारी अधिकारी संदीप सिंह ने बताया कि हर वर्ष पांच हजार घनमीटर से अधिक जलाऊ लकड़ियों की आवक होती है, जिसे वनमंडल कार्यालय के निर्देशानुसार समितियों और सुरक्षा बलों सहित अन्य को वितरित किया जाता है, लेकिन इस वर्ष मात्र 15 सौ घनमीटर के लगभग आवक हुई थी जिसे भी वनमंडल कार्यालय के निर्देशानुसार वितरित किया जा चुका है.
वर्तमान में बहुत कम लकड़ी के बचे होने के बारे में उच्चाधिकारीयों को अवगत करवा दिया जा चुका है.
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