मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के तहत 104 बच्चों का सफल ऑपरेशन, अब सुन पाएंगे
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के तहत 104 बच्चों का सफल ऑपरेशन किया गया है.
(फाइल फोटो) |
वहीं स्पीच थेरेपी सेंटर में 97 बच्चों की बोलने की क्षमता लौटाई गई है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य शासन की मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के कारण राज्य के 97 बच्चे अब सुन और बोल पा रहे हैं. इन बच्चों को राजधानी रायपुर के शासकीय अम्बेडकर अस्पताल में स्थित स्पीच थेरेपी सेण्टर में वाणी विषेशज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है.
योजना के तहत 25 सितम्बर को सात बच्चों की कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की गयी है जो वर्तमान में शासकीय अम्बेडकर अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं.
मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के तहत छत्तीसगढ़ के नवजात से सात वर्ष तक के ऐसे बच्चे जो सुन नहीं पाते उनका इलाज किया जाता है. इसके लिए गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) परिवार को अधिकतम छह लाख और अन्य परिवारों को अधिकतम चार लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जाती है.
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना अप्रैल 2010 से संचालित की जा रही है. इस योजना से अब तक 104 बच्चों की कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी हो चुकी है. इनमे से वर्तमान में 60 बच्चे स्पीच थेरेपी सेण्टर में प्रशिक्षण ले रहे हैं. अब तक 20 बच्चों का प्रशिक्षण हो चुका है, जो बीच बीच में फॉलोअप के लिए अस्पताल आते रहते हैं.
अधिकारियों ने बताया कि जो बच्चे स्पीच थेरेपी के लिए नहीं आ रहे हैं उनके माता-पिता से लगातार संपर्क स्थापित कर उन्हें स्पीच थेरेपी के महत्व के बारे में समझाया जा रहा है, जिससे वह अपने बच्चे को स्पीच थेरेपी सेंटर में लायें. कोक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के छह हफ्ते बाद से बच्चों की स्पीच थेरेपी शुरू की जाती है.
स्पीच थेरेपी के प्रशिक्षकों ने बताया की कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के बाद बच्चों को स्पीच थेरेपी सेंटर में लाना बहुत जरूरी है. बच्चों को अपने आसपास के परिवेश में ढलने के लिए कम से कम तीन साल तक स्पीच थेरेपी का प्रशिक्षण देना अनिवार्य है.
उन्होंने बताया कि वर्तमान में 60 बच्चों को 6-6 बच्चों के बैच में बांट कर एक-एक घंटे का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमे बच्चों के माता-पिता को भी शामिल किया गया है ताकि वे बच्चों को घर पर भी अभ्यास करवाएं.
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