छत्तीसगढ़ में धुरवा आदिवासियों में बिटा थैलीसिमिया के रोगी

Last Updated 24 Jul 2014 05:26:32 PM IST

छत्तीसगढ़ के बस्तर में धुरवा जनजाति के 14 आदिवासियों में गंभीर बीमारी बिटा थैलीसिमिया की पहचान की गयी है.


(फाइल फोटो)

बस्तर में भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण विभाग ने द्वारा किए गए स्वास्थ्य परीक्षा के दौरान धुरवा जनजाति के 14 आदिवासियों में गंभीर बीमारी बिटा थैलीसिमिया की पहचान की गयी है.

आधिकारिक जानकारी के अनुसार आनुवांशिक तौर पर खून की कमी वाले रोग सिकलसेल से पीड़ित धुरवा जनजाति के कोटसमर इलाके के इन गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया था. इसमें 921 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. इसमें जिन 225 लोगों का सिकलसेल परीक्षण किया गया. उनमें 19 को सिकलसेल और 14 मे बिटा थैलीसिमिया पाया गया है. यह बीमारी एक लाख लोगों में एक को होनी बतायी जाती है.

कोलकोता से आईरिपरेट ने हैरत में डाल दिया है. सिकलसेल एनिमिया में शरीर में बनने वाली रक्त कणिकाएं हंसिया आकार की हो जाती हैं. इससे शरीर में खून की कमी हो जाती है. इस बीमारी में खून की कमी के साथ शरीर में आयरन की मात्रा भी घट जाती है. इससे शरीर की हड्डियों पर भी असर पड़ता है. विकृति आने की संभावना के साथ-साथ यदि यह बढ़ता है तो मेरूरज्ज को भी नुकसान करता है.



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