ललन सिंह के इस्तीफे की इनसाइड स्टोरी, नीतीश कुमार ने I.N.D.I.A को भी दिया बड़ा संदेश

Last Updated 30 Dec 2023 01:02:21 PM IST

नीतीश इससे पहले सभी विधायक, विधान पार्षद, सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व विधान पार्षद के साथ बैठक करते रहे हैं। पार्टी में अंदर की बातों का जायजा भी लेते रहे। एक राष्ट्रीय अध्यक्ष को पार्टी की मजबूती के लिए ललन पदाधिकारियों, विधायकों, सांसदों, मंच मोर्चा और प्रकोष्टों के साथ बैठक भी नहीं करते थे।


बिहार में चुनाव नज़दीक है,  ऐसे में ये चुनावी अस्थिरता किस बात का संकेत करती है? ललन सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है तो वहीं नीतीश कुमार ने पार्टी अध्यक्षता की कमान भी संभाल ली । 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव में अभी कुछ महीने बचे हैं और इससे पहले ललन सिंह के इस्तीफे को लेकर सबसे बड़ा सवाल है कि उन्होंने अचानक इस्तीफा क्यों दिया? सियासी गलियारों में इसको लेकर अलग-अलग चर्चाएं है।

सूत्रों की मानें  तो ललन सिंह के इस्तीफे की पटकथा बहुत पहले से तैयार हो रही थी।  इसके बहुत से कारण थे जिसके आगे ललन सिंह को इस्तीफा देना था। आइए जानते हैं वह आरोप जो उनके इस्तीफे के मूल कारण बनें।

उन्होंने खुद अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने  स्वीकार भी कर लिया । उन्होंने कहा कि वो  खु़द चुनाव लड़ने वाले हैं और उनका क्षेत्र में रहना जरूरी है। इसमें उनकी व्यस्तता रहेगी है इस कारण वह राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को संभालने में असमर्थ हैं। वहीं आधिकारिक तौर पर उनका टर्म पूरा हो चुका था। ये पहली पहली वजह हो सकती है।


दूसरी वजह ये समझी जा रही है कि पार्टी के कई नेता उनसे नाखु़श हैं। ये संदेश नीतीश कुमार तक पहुंचां। नीतीश इससे पहले सभी विधायक, विधान पार्षद, सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व विधान पार्षद के साथ बैठक करते रहे हैं। पार्टी में अंदर की बातों का जायजा भी लेते रहे। एक राष्ट्रीय अध्यक्ष को पार्टी की मजबूती के लिए ललन पदाधिकारियों, विधायकों, सांसदों, मंच मोर्चा और प्रकोष्टों के साथ बैठक भी नहीं करते थे।
 

तीसरी और अहम वजह,  ललन सिंह के एरोगेंट नेचर  बताया जा रहा है। उनके अड़ियल रवैये के चलते  कोई भी सक्रिय नेता उनसे आमना-सामना करने से बचता था। अड़ियलपन कुछ इस हद तक था कि अन्य नेता  मिलकर कुछ ऐसी अंदरुनी बात भी नहीं बता सकता जो पार्टी हित में हो।
 

अगला कारण ये है कि बड़ी सफाई से एक खास रणनीति के तहत नीतीश कुमार को कमज़ोर और असुरक्षित रखने का खेल खेला।

पांचवा कारण ये कि एक-एक कर नीतीश कुमार के विश्वसनीय नेता उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह ,और पूर्व एमएलसी प्रो. रणवीरनंदन को पार्टी छोड़कर जाने के लिए बाध्य किया।


छठी वजह ये मानी जा 16 सांसदों में से 13 सांसद ललन सिंह से खफा थे और अगर 70 प्रतिशत हिस्सा नाराज़ हो तो ऐसे चाहे कितना भी कद्दावर नेता हो उसकी नैय्या डूबना तय  है।
 

सातवीं और सबसे महत्वपूर्ण वजह, लालू का क़रीबी होना भी माना जा रहा है।  यहां आरोप यह लग रहा था कि सरकार गिराने की साज़िश में शामिल होकर तेजस्वी को सीएम और ललन सिंह खुद उप मुख्यमंत्री बनना चाहते थे।
 

अगला कारण ये विधायकों की बैठक में नीतीश कुमार को ललन सिंह के बारे में निगेटिव फीड बैक मिलना।
उनका गैरजिम्मेदाराना रवैय्या भी एक मुख्य कारण है। नीतीश कुमार ने स्वयं पार्टी कार्यालय का औचक निरीक्षण कर यह महसूस किया कि पार्टी को सुदृढ़ करने के लिए जो कुछ करना चाहिए वह ललन सिंह नहीं कर सके।


एक वजह अशोक चौधरी के साथ ललन सिंह की हुई तकरार भी बताई जा रही है।

11 वीं वजह ललन सिंह की ग़लत राय को मानी जा रही है। ख़ास बात ये थी कि एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने की ग़लत सलाह उनकी ही देन थी।
 

इंडिया गठबंधन बनाने और उस गठबंधन में नीतीश कुमार की रणनीति को ठीक तरह से नहीं रखना भी ललन सिंह की भूल मानी जा रही है ये इस्तीफे की अहम वजूहात में से एक है।
 

साथ ही नीतीश कुमार को संयोजक या अन्य कोई महत्वपूर्ण पद दिलाने को लेकर ललन सिंह की कमजोर बैटिंग भी एक कारण बना।

लेकिन एक मंजे खिलाड़ी  की तरह नीतीश सबकुछ जानते समझते हुए भी ज़हर का घूंट पीते रहे और सही मौक़े पर बिना कोई हड़बड़ी दिखाए ललन सिंह जैसे दिग्गज नेता को लोकतांत्रिक तरीक़े से निपटा कर अपनी छवि पर कोई आंच नही आने दी।

 

कश्फी शमाएल
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment