बिहार : समस्तीपुर मंडल के 3 रेलखंडों में रेल ट्रैक के निकट पहुंची बाढ़

Last Updated 06 Aug 2020 11:33:39 AM IST

बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। राहत की बात है कि कुछ नदियों के जलस्तर में कमी हुई है लेकिन गंगा के जलस्तर में वृद्घि देखी जा रही है। गंगा नदी कहलगांव के पास खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है। राज्य की अन्य नदियां भी कई क्षेत्रों में अभी भी लाल निशान से ऊपर है। इधर, राज्य के 16 जिलों के 121 प्रखंडों में अभी भी बाढ़ का तांडव जारी है, जिससे अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है। बिहार आपदा प्रबंधन विभाग ने राहत और बचाव कार्य जारी रहने का दावा किया है। इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बुधवार को दरभंगा और गोपालगंज बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया है। बिहार राज्य जलसंसाधन विभाग के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि कोसी के जलस्तर में कमी का ट्रेंड बना हुआ है। वीरपुर बैराज के पास गुरुवार को सुबह छह बजे कोसी का जलस्तर 1.59 लाख क्यूसेक था जो आठ बजे घटकर 1.58 लाख क्यूसेक हो गया। इधर, गंडक नदी का जलस्तर में मामूली वृद्धी हुई है। गंडक का जलस्राव बाल्मीकिनगरबैराज पर सुबह छह बजे 1.21 लाख क्यूसेक था जो आठ बजे बढ़कर 1.24 लाख क्यूसेक पहुंच गया है। बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, घाघरा तथा गंगा कई क्षेत्रों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बिहार के 16 जिलों के कुल 121 प्रखंडों की 1़165 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हुई हैं। इन क्षेत्रों में करीब 66.60 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इन इलाकों में 8 राहत शिविर खोले गए हैं, जहां 12 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं। इसके अलावा, बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुल 1,379 सामुदायिक रसोई घर चलाए जा रहे हैं, जिसमें प्रतिदिन करीब दस लाख लोग भोजन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ के दौरान इलाकों में विभिन्न घटनाओं में 19 लोगों की मौत हुई है, इसमें सबसे अधिक सात लोगों की मौत दरभंगा जिले में हुई है। इस बीच 21 पालतू पशुओं की भी मौत हो गई है। उन्होंने बताया कि सभी बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव का कार्य कर रही हैं। अब तक 4,80,884 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया गया है। अपर सचिव ने बताया कि बाढ़ प्रभावित प्रत्येक परिवार को ग्रेच्युटी रिलीफ के अंतर्गत 6,000 रुपये की राशि दी जा रही है। अभी तक 3,75,547 परिवारों के बैंक खाते में कुल 225 करोड़ रूपये जीआर की राशि भेजी जा चुकी है। ऐसे परिवारों को एसएमएस के माध्यम से सूचित भी किया गया है। इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बुधवार को बाढ़ प्रभावित दरभंगा और गोपालगंज जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया तथा दरभंगा के एक राहत केंद्र का जायजा लिया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कई निर्देश दिए।


बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। राहत की बात है कि कुछ नदियों के जलस्तर में कमी हुई है लेकिन गंगा के जलस्तर में वृद्घि देखी जा रही है। गंगा नदी कहलगांव के पास खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है। राज्य की अन्य नदियां भी कई क्षेत्रों में अभी भी लाल निशान से ऊपर है।

इधर, राज्य के 16 जिलों के 121 प्रखंडों में अभी भी बाढ़ का तांडव जारी है, जिससे अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है। बिहार आपदा प्रबंधन विभाग ने राहत और बचाव कार्य जारी रहने का दावा किया है। इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बुधवार को दरभंगा और गोपालगंज बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया है।

बिहार राज्य जलसंसाधन विभाग के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि कोसी के जलस्तर में कमी का ट्रेंड बना हुआ है। वीरपुर बैराज के पास गुरुवार को सुबह छह बजे कोसी का जलस्तर 1.59 लाख क्यूसेक था जो आठ बजे घटकर 1.58 लाख क्यूसेक हो गया।

इधर, गंडक नदी का जलस्तर में मामूली वृद्धी हुई है। गंडक का जलस्राव बाल्मीकिनगरबैराज पर सुबह छह बजे 1.21 लाख क्यूसेक था जो आठ बजे बढ़कर 1.24 लाख क्यूसेक पहुंच गया है।

बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, घाघरा तथा गंगा कई क्षेत्रों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।

आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू ने बताया कि बिहार के 16 जिलों के कुल 121 प्रखंडों की 1.165 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हुई हैं। इन क्षेत्रों में करीब 66.60 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है।

उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इन इलाकों में 8 राहत शिविर खोले गए हैं, जहां 12 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं। इसके अलावा, बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुल 1,379 सामुदायिक रसोई घर चलाए जा रहे हैं, जिसमें प्रतिदिन करीब दस लाख लोग भोजन कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि बाढ़ के दौरान इलाकों में विभिन्न घटनाओं में 19 लोगों की मौत हुई है, इसमें सबसे अधिक सात लोगों की मौत दरभंगा जिले में हुई है। इस बीच 21 पालतू पशुओं की भी मौत हो गई है।

उन्होंने बताया कि सभी बाढ़ प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव का कार्य कर रही हैं। अब तक 4,80,884 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित इलाकों में पहुंचाया गया है।

अपर सचिव ने बताया कि बाढ़ प्रभावित प्रत्येक परिवार को ग्रेच्युटी रिलीफ के अंतर्गत 6,000 रुपये की राशि दी जा रही है। अभी तक 3,75,547 परिवारों के बैंक खाते में कुल 225 करोड़ रूपये जीआर की राशि भेजी जा चुकी है। ऐसे परिवारों को एसएमएस के माध्यम से सूचित भी किया गया है।

इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बुधवार को बाढ़ प्रभावित दरभंगा और गोपालगंज जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया तथा दरभंगा के एक राहत केंद्र का जायजा लिया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कई निर्देश दिए।

समस्तीपुर-दरभंगा, दरभंगा-सीतामढ़ी एवं सहरसा-मानसी रेलखंडों के छह रेलपुलों के निकट नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। इस कारण पूर्व मध्य रेल द्वारा सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए इन रेलखंडों पर चलाई जा रही स्पेशल ट्रेनें परिवर्तित मार्ग या आंशिक समापन कर चलाई जा रही हैं।

पूर्व-मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बुधवार को बताया कि समस्तीपुर-दरभंगा मुख्य रेलमार्ग के बीच तीन रेलपुल तथा दरभंगा-सीतामढ़ी रेलमार्ग पर कमतौल और जोगियारा स्टेशन के बीच एक रेलपुल पर बाढ़ का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। इसी तरह सहरसा-मानसी रेलखंड पर कोपरिया से बदलाघाट के बीच दो रेल पुलों के निकट भी नदी जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है।

उन्होंने बताया कि बुधवार को सुबह पांच बजे समस्तीपुर-मुक्तापुर के बीच रेलपुल संख्या एक के निकट जलस्तर खतरे के निशान से 1.95 मीटर तथा हयाघाट-थलवारा के बीच रेलपुल संख्या 16 तथा 17 के निकट खतरे के निशान से क्रमश: 1.15 मीटर एवं 1.07 मीटर ऊपर आ चुका है। इसी तरह सहरसा-मानसी रेलखंड पर कोपरिया से बदलाघाट के बीच रेलपुल संख्या 47 एवं 50 के निकट तथा कमतौल-जोगियारा के बीच स्थित रेलपुल संख्या 18 के निकट भी पानी पहुंच चुका है।

उन्होंने कहा, "पूर्व मध्य रेल का प्रयास है कि बाढ़ के कारण रेलवे ट्रैक एवं रेलपुलों को कम से कम क्षति पहुंचे, जिससे स्थिति सामान्य होते ही ट्रेनों का परिचालन यथाशीघ्र प्रारंभ किया जा सके। इसके लिए अधिकारियों द्वारा स्थिति की निगरानी की जा रही है। इसी कड़ी में रेलवे ट्रैक एवं रेलपुलों की दिन-रात पेट्रोलिंग सहित अन्य निरोधात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।"
 

आईएएनएस
हाजीपुर


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