गंभीर मरीजों का इलाज करने से डरने लगे हैं डॉक्टर

Last Updated 18 Nov 2017 01:03:25 PM IST

अस्थि रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रवींद्र नारायण सिंह ने इलाज के दौरान मौत होने को लेकर चिकित्सकों के खिलाफ लगातार हो रहे हमले पर कहा कि मौजूदा परिवेश में गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों का इलाज करने से डॉक्टर डरने लगे हैं, जो समाज के लिए खतरनाक साबित हो रहा है.


पटना में आज डॉ. सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में अस्पताल में चिकित्सकों और कर्मचारियों की साथ मारपीट की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. इसका नतीजा है कि अब डॉक्टर गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज का इलाज करने से डरने लगे हैं. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि किसी परिजन की मृत्यु होने पर दुख और नाराजगी जायज है लेकिन दुख में किसी से मारपीट या उस पर जानलेवा हमला करने से क्या जान वापस आ सकती है. मरीज को अन्य जगह रेफर करने से कभी कभी सही समय पर इलाज नहीं मिलता और मरीज को नुकसान होता है.

पद्मश्री ने कहा कि चिकित्सा पेशे में खतरा हमेशा बना रहता है. कोई भी चिकित्सक मरीज को जानबूझकर नहीं मारता बल्कि कई बार उनके पास कोई और विकल्प नहीं होता.

उन्होंने कहा कि लापरवाही करना और गलत निर्णय लेना दोनों अलग-अलग बातें हैं. चिकित्सकों को ऑपरेशन करते समय एक या दो सेकेंड में ही निर्णय लेना होता है. उस समय ना तो कोई किताब पढ़ी जा सकती है और न ही किसी से सलाह ली जा सकती है. ऐसे में उस एक सेकेंड में लिया गया निर्णय गलत भी हो सकता है. लेकिन, इसे लापरवाही मानना गलत होगा. यह अलग बात है कि उनके गलत निर्णय से मरीज को नुकसान हो सकता है वहीं ऐसी ही स्थिति में उन्होंने कई बार लोगों की जान भी बचाई है. कई बार तो उन्हें सोचने का मौका भी नहीं मिलता और बिना कुछ सोचे समझे तुरंत निर्णय लेना पड़ता है जबकि ऐसे समय शरीर की प्रतिक्रिया हर मरीज में अलग-अलग होती है.

डॉ. सिंह ने नकली दवाओं के तेजी से बढ़ रहे कारोबार और उस धंधे में संलिप्त नेताओं और बड़े उद्योगपतियों के खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुये कहा कि आजकल नकली दवाओं और नकली फूड्स का कारोबार जोर-शोर से चल रहा है. इसकी जानकारी सभी को है लेकिन इस धंधे के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई हिम्मत नहीं करता. लोग कहते हैं कि डॉक्टर ने गलत इंजेक्शन लगाकर मरीज को मार दिया लेकिन उन्हें भी पता नहीं होता कि वह इंजेक्शन असली था भी या नहीं क्योंकि कंपनी तो किसी नेता या उद्योगपति की  होगी.

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ मे नकली दवा से नसबंदी ऑपरेशन के दौरान 18 महिलाओं की मौत हो गयी. इस मामले में सर्जन के खिलाफ कार्रवाई हुई क्योंकि फैक्ट्री तो वहां के स्वास्थ्य मंत्री के बेटे की थी.

अस्थि रोग विशेषज्ञ ने सवालिया लहजे में कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष शोध संगठन नासा की एक खोज के दौरान कल्पना चावला मारी गयी थी. क्या उस अभियान से जुड़े इंजीनियरों या वैज्ञानिकों पर हमले हुये. कई मामलों में निर्णय लेने के लिए काफी समय होने के बावजूद अभियंताओं की गलती से पुल गिर जाते हैं. ट्रेन ड्राइवर की एक गलती से सैकड़ों लोगों की मौत हो सकती है. हवाई जहाज के पायलट की वजह से अनेक मौत हो जाती है. सभी इंसान है, कोई ना कोई तो यह काम करेगा और जो भी करेगा उससे ग़लती होना संभव है.

उन्होंने कहा, मैं यह नहीं कहता कि डॉक्टरों को ग़लती करने का अधिकार है लेकिन उनकी सीमाओं का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. यदि कोई बड़ी ग़लती है, तो क़ानून के दायरे में  कार्रवाई होनी चाहिए न की उनके खिलाफ जानलेवा हमला.

डॉ. सिंह ने कहा कि एक चिकित्सक दिन-रात काम करता है, पैसे के लिए नहीं बल्कि यह उनकी पेशेगत जिम्मेदारी है. कई बार डॉक्टर रात में तीन बजे तक दुर्घटनाग्रस्त मरीज का ऑपरेशन करने के बाद सोते हैं. इसके बाद यदि सुबह छह बजे इमरजेंसी आ गयी तो वो फिर अस्पताल चले जाते हैं. क्या वह इंसान नहीं है, क्या उन्हें नींद नहीं आती.

उन्होंने अन्य पेशेवरों के बारे में सवाल खड़े उठाते हुये कहा कि रात में जरूरत पड़ने पर प्लंबर, सफाई कर्मचारी, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट और मजदूरों को काम के लिए नहीं बुलाया जा सकता है. इसलिए, डॉक्टरों की सेवाओं की कद्र की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि आखिर बीमार पड़ने पर चिकित्सक ही इलाज करते हैं. उस वक्त विधायक, सांसद, जिलाधिकारी या पुलिस अधीक्षक काम नहीं आता.

उल्लेखनीय है कि 16 नवंबर को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में इलाज के दौरान मरीज की मौत हो जाने पर उसके परिजनों ने चिकित्सकों और कर्मचारियों की जमकर पिटाई कर दी. इसके बाद कनिष्ठ चिकित्सक हड़ताल पर चले गये, जिससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. ऐसे और कई मामले हैं जिसमें चिकित्सकों की पिटाई और अस्पताल में तोड़फोड़ की गई.

वार्ता


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