असंवैधानिक तरीके से जाति का स्वरूप बदल रहे सीएम : मांझी
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि वर्तमान सरकार के द्वारा दलितों, अतिपिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और उनकी हकमारी भी की जा रही है.
(फाइल फोटो) |
जीतनराम मांझी ने बताया कि संविधान में किये गए प्रावधान के अनुसार किसी भी जाति (संविधान की धारा 341) को अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग में शामिल करने का राष्ट्रपति को ही अधिकार है.
महागठबंधन की सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा असंवैधानिक तरीके से कुछ जातियों को पिछड़ी जाति से निकाल कर अतिपिछड़ी जाति में एवं अनुसूचित जाति में शामिल कर आदेश निकाल दिए गये हैं.
इनका यह कार्य भारतीय संविधान के प्रावधानों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है. इसके चलते अतिपिछड़ी जातियों एवं अनुसूचित जातियों के युवाओं का भविष्य खतरे में पड़ गया है. ऐसी परिस्थिति में दलित, अतिपिछड़ा एवं अल्पसंख्यक समुदाय को हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (से.) न्याय दिलाने को संकल्पित है.
यदि हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (से.) की सरकार बिहार में बनती है तो अतिपिछड़े, दलित एवं मुस्लिम समुदाय से एक मुख्यमंत्री होगा और दो उपमुख्यमंत्री होंगे जिनमें एक महिला होगी.
मांझी ने केन्द्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी सेतु के लिए दिए 1742 करोड़ रुपये के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया है.
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