बिहार बोर्ड में टेंडर में भी होती थी जमकर धांधली

Last Updated 24 Jun 2016 11:05:56 AM IST

बिहार बोर्ड में इंटर व मैट्रिक परीक्षा में नंबर बढ़ाने व टॉप कराने के खेल से ही नहीं, बल्कि टेंडर से भी अवैध कमाई की जाती थी.


(फाइल फोटो)

बोर्ड और इंटर काउंसिल के कागजातों की छपाई के टेंडर में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह के दामाद विवेक कुमार ने जमकर धांधली की और करोड़ों की काली कमाई की. बीते तीन वर्षों में करीब 12 करोड़ के ठेका को मैनेज करके विवेक ने 25 फीसदी यानी 3 करोड़ कमीशन वसूले.

बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने बोर्ड में तमाम तरह के ठेके-ठेकेदारी का बकायदा कारोबार खोल रखा था. हर काम में जुगाड़ बिठाने और इससे अवैध कमाई करने के लिए अलग-अलग  करीबी लोगों का कुनबा बना रखा था.
 
पूछताछ में मेरिट घोटाले के मुख्य आरोपी अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद ने इस मामले में पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा को भी लपेट लिया है. लालकेश्वर ने एसआइटी को बताया कि हरिहर नाथ झा के कहने पर वह अधिकांश पेपर पर हस्ताक्षर कर देते थे. अब एसआइटी ने पूर्व सचिव को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है.

दरअसल हर वर्ष कागजातों की छपाई के लिए 4 करोड़ का टेंडर निकलता है.

इसके लिए सबसे अधिक रेट पर टेंडर का आवेदन देने के बावजूद यूपी की ‘मथुरा प्रिंटिंग प्रेस’ को विवेक की पैरवी-समर्थन पर ठेका दिया गया था.

कागजातों की प्रोसेसिंग कोलकाता में और मथुरा (मथुरा प्रिंटिंग प्रेस) में छपाई होती थी.

तफ्तीश में यह हकीकत सामने आने के बाद एसआईटी की अलग-अलग टीमों ने कोलकाता और मथुरा जाकर जांच-पड़ताल की है.

इस दौरान कई टेंडर घोटाले के कई अहम सबूत भी मिले हैं.

सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में मथुरा प्रिंटिंग प्रेस के मालिक ने कहा कि उनके कर्मचारी ने एग्रीमेंट किया था.उसी ने ठेका के पेपर पर सिग्नेचर भी किए थे. हालांकि एसआईटी को यह बात हजम नहीं हो रही है.

इधर पाटलिपुत्र थानांतर्गत नेहरु नगर इलाके में स्थित विवेक के घर से बरामद एकाउंट व अन्य पेपरों की जांच जारी है.

बैंक खाता के जरिए बीते वर्षों में हुए रकम के ट्रांजेक्शन के बारे में भी पता लगाया जा रहा है.

इसके अलावा विवेक के मोबाइल के सीडीआर (कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड) से यह पता चला है कि संबंधित प्रेस के मालिक व अन्य कर्मियों के संपर्क में वह था.

इसके लिए लालकेश्वर के मोबाइल पर भी वह लंबी बातचीत करता था.

लालकेश्वर का दामाद विवेक कुमार मगध यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी प्रो. अरुण कुमार का बेटा है.

फिलहाल गिरफ्तारी के डर से विवेक घर छोड़ कर अंडरग्राउंड हो गया है.

लालकेश्वर ने अपने रिश्तेदारों व पीए के बीच धांधली से जुड़े कामों का बंटवारा कर रखा था.

एसआईटी के मुताबिक दामाद विवेक प्रिंटिंग के टेंडर मैनेज करता था तो रिश्तेदार व पीए विकास चंद्र (बेटा का साला) कॉलेजों को मान्यता दिलाने के साथ ही अनुदान आदि से जुड़े मामलों को देखता था।.

डीलिंग के लिए विकास ही अमूमन बच्चा राय को लालकेश्वर की पत्नी उषा सिन्हा के पास ले जाता था.

इसके अलावा लालकेश्वर के पीए चुन्नू, अनिल व अन्य एजेंट परीक्षा से लेकर रिजल्ट में सेटिंग के खेल को मैनेज करते थे.

टॉपर घोटाले के आरोपी व बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह और उनकी पत्नी उषा सिन्हा की संपत्ति जब्त हो सकती है.

राज्य पुलिस की टीम उनकी संपत्ति का पता लगा रही है. सूत्रों के अनुसार लालकेश्वर दंपती के नाम से कितनी संपत्ति है, उसकी पड़ताल हो रही है.

दरअसल टॉपर घोटाले में बड़े पैमाने पर पैसों के खेल के सबूत भी सामने आ रहे हैं. इसके अलावा कई और गड़बड़ियों की बात कही जा रही हैं.

मामले में भ्रष्टाचार की गंध से दंपती सीधे-सीधे जांच एजेंसियों के संदेह के घेरे में हैं. इसको ध्यान में रखकर एसआईटी और दूसरी एजेंसियां आर्थिक मामलों की भी पड़ताल में जुटी हैं.

उधर एसआईटी की टीम लालकेश्वर, उषा, वीआर कॉलेज के निदेशक बच्चा राय और दूसरे आरोपियों के खिलाफ पुख्ता प्रामाणिक दस्तावेज जुटा रही है.

दरअसल पुलिस को आशंका है कि अगर सबूत ढीले पड़े तो लालकेश्वर और शेष आरोपी अपनी ताकत के बल पर कानून के शिकंजे से बचकर निकल सकते हैं.

लिहाजा, केस डायरी को भी मजबूत किया जा रहा है

इस केस की वजह से जदयू ने पूर्व बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर की पत्नी व पूर्व विधायक उषा सिन्हा की सदस्यता का नवीनीकरण नहीं करने का फैसला किया है. प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि उषा पार्टी में किसी पद पर नहीं हैं और सदस्यता अभियान जारी है, इसलिए यह फैसला किया गया कि उनकी सदस्यता का नवीनीकरण नहीं किया जायेगा.
 



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