गया रोडरेज: मनोरमा देवी और पति बिंदी यादव की जमानत याचिका खारिज

Last Updated 24 May 2016 01:24:29 PM IST

बिहार में गया की दो अदालतो ने मंगलवार को जनता दल यूनाइटेड से निलंबित विधान परिषद की सदस्य मनोरमा देवी और उनके पति बिंदी यादव की जमानत याचिका खारिज कर दी.


फाइल फोटो

बिंदी यादव के वकील सत्य नारायण सिंह और कैसर शफरुद्दीन की ओर से उनकी रिहाई के लिए यह दलील दिए जाने के बावजूद कि उनके मुवक्किल को भादंवि की धारा 302 और 34-बी के तहत जेल नहीं भेजा गया है, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) सोम सागर ने उनकी जमानत याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया.
    
जिला अभियोजन पदाधिकारी त्रिलोकी नाथ मिश्र ने बिंदी यादव को जमानत दिये जाने का विरोध किया.
    
उल्लेखनीय है कि गत 6-7 मई की रात्रि में गया जिला के रामपुर थाना अंतर्गत पुलिसलाइन के समीप वाहन ओवर टेक करने को लेकर हुए विवाद में मनोरमा देवी के पुत्र रॅाकी यादव ने 12वीं कक्षा के छात्र आदित्य सचदेवा (19) की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
    
आदित्य सचदेवा हत्या मामले के मुख्य आरोपी रॅाकी यादव को गत 10 मई को उसके पिता बिंदी यादव के बोधगया थाना के मस्तपुरा गांव स्थित मिक्सर प्लांट से गिरफ्तार कर लिया गया था.उसके पास से इस हत्याकांड में इस्तेमाल किया गया ब्रेटा कंपनी का पिस्टल भी बरामद हुआ था.

इससे पहले आठ मई को मनोरमा देवी के पति और राजद के बाहुबली नेता बिंदी यादव तथा उनके सरकारी अंगरक्षक राजेश कुमार को गिरफ्तार कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था.
    
इस मामले के एक अन्य आरोपी तथा रॅाकी के सहयोगी टेनी यादव ने गत 16 मई को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था.

इसी बीच रॅाकी की मां मनोरमा देवी की जमानत याचिका जिसे गत 19 मई को निचली अदालत ने खारिज कर दिया था, के मामले की मंगलवार को सुनवाई करते हुए गया जिला एवं सत्र न्यायधीश सजल मंडलवार ने निचली अदालत की कार्य सूची और केस डायरी प्रस्तुत किए जाने का निर्देश दिया.
   
बिहार विधान परिषद सदस्य मनोरमा देवी के वकील सत्य नारायण सिंह और कैसर शफरुद्दीन ने उन्हें जमानत पर छोड़े जाने का आग्रह यह दलील देते हुए किया कि वह शराब नहीं पीती हैं और न ही पुलिस ने उनके घर पर छापेमारी के दौरान उन्हें शराब पीते हुये पकड़ा था.
   
रॉकी की तलाश के दौरान गत 9-10 मई की रात्रि में पुलिस ने मनोरमा देवी के घर से शराब की छह बोतलें बरामद की थीं, जिसके बाद वह फरार हो गयी थीं.

इसके बाद उन्होंने 17 मई को गया जिला के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट(चतुर्थ) सोम सागर की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था.
 



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