बिहार से रोज तीस-पैंतीस हजार शराबी जाते हैं नेपाल

Last Updated 27 Apr 2016 03:54:11 PM IST

बिहार सरकार शराब बंदी कर अपनी पीठ भले थपथपा रही हो, लेकिन इस शराब बंदी का दो देशों से जुड़ने वाली सरहदों पर कुछ खास असर होता नहीं दिख रहा है.


(फाइल फोटो)

सीमापार के मयखाने बिहार के शराबियों के लिये एक ऐसा सुलभ साधन बन चुका है जहां जब चाहे शराबी जाये और अपने नशा की प्यास बुझा लें

एक अनुमान के तौर पर सीतामढ़ी से लगने वाली नेपाल की चौसठ किलोमीटर की खुली सीमा के माध्यम से प्रत्येक दिन तीस से पैंतीस हजार शराबी जाकर वहां के मयखाने में खुलकर शराब टक रहे है जिनको रोकने वाला कोई नहीं.

सीतामढ़ी जिला भारत नेपाल सीमा पर स्थित हैं. दोनों देशों की तकरीबन चौसठ किलोमीटर की खुली सीमा पर आने-जाने वाले लोगों पर कोई रोक टोक नहीं. दोनो देशों के बीच पिछले लंबे अरसे से बेटी रोटी का संबंध है जिसको लेकर शादी विवाह, पर्व त्योहार से लेकर दूसरे कामों में लोगों का आना-जाना आम बात है.

पिछले एक अप्रैल से बिहार मे सरकार ने पूर्ण शराब बंदी का ऐलान कर दिया लेकिन इन सीमाई इलाकों में इस शराब बंदी का कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है.

बोर्डर से लगभग आधा से एक किलोमीटर की दूरी पर नेपाल पर सैकड़ों बीयर बार और शराब की दुकानें खुली हुई हैं जहां भारतीय शराब के प्रेमी वहां जाकर अपनी शराब के भूख को शांत करते है.

एक आकड़े के अनुसार प्रत्येक दिन तीस से पैतीस हजार लोग नेपाल के होटलों में जाकर शराब का सेवन कर रहे हैं जिसको रोकने के लिये कोई व्यवस्था फिलहाल नहीं दिख रही है हालांकि सीमा पर तैनात एसएसबी जवानों के द्वारा शराब की तस्करी करने वालो पर विशेष नजर है लेकिन वहां जाकर शराब का सेवन करने वाले लोगों को रोकने के लिये एसएसबी के पास कोई व्यवस्था नहीं.

आम लोगों के शराब पीने के इस लत से एसएसबी समेत जिला प्रशासन भी परेशान है. दोनों देश के अधिकारियों ने इस मसले पर बैठक कर एक दूसरे से सहयोग की भी अपील की, लेकिन जो शराबी है वह कहां मानने वाले. सीतामढ़ी के सीमा से लगने वाले नेपाल के जलेश्वर,रौतहत ,गौर ,मलंगवा जनकपुर समेत तकरीबन तीन दर्जन से ज्यादा ऐसे नेपाल के जगह है जहां शाम होते ही भारतीय शराबियों का जमावड़ा लगने लगता है.

दूसरा कारण यह भी है कि नेपाल में शराब के सेवन और उसके बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहींं यहां के किराने की दुकान से लेकर पान की दुकानों में शराब बिकती है. एसएसबी के अधिकारी भी इस मसले पर लाचार दिख रहे हैं.

बहरहाल बिहार मे सुशासन बाबू ने बेशक शराब को बैन कर दिया हो लेकिन बिहार से लगने वाली नेपाल की तकरीबन 185 किलोमीटर की उस खुली सीमा का क्या जहां जब चाहे लोग शराब पीकर अपने शरीर में उठने वाले नशा के ज्वार भाटा को शांत कर लेते है.

ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सीमाई इलाकों मे नशा बंदी महज पोस्टर और कागजों तक ही सिमट कर रह गया है उसका न तो ठीक तरिके से पालन हो रहा है और न ही सरकार इस मसले पर गंभीर दिख रही है.



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