बिहार के भी दलित छात्र सामूहिक रुप से करेंगे आत्महत्या?
हैदराबाद यूनिवर्सिटी के दलित छात्र रोहित वेमुला के ख़ुदकुशी के बाद देश भर में शुरू हुए राजनीति के शोर में सभी नेता अपनी आवाज तेज करने में लगे है.
दलित छात्र सामूहिक रुप से करेंगे आत्महत्या |
लेकिन यही राजनेता आत्महत्या के कागार पर खड़े कई दलित छात्रों के पीड़ा को सुनने को भी तैयार नहीं दिख रहे है. मामला चंपारण से जुडा हुआ है. जहां पूर्वी और पश्चमी चंपारण जिले के लगभग साठ छात्र बिहार सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण अब खुद के जीवन को समाप्त करने की बात कह रहे है.
ये सभी लड़के दलित है और गाँधी की कर्मभूमि चंपारण के रहने वाले है. इनका चयन बिहार महादलित विकास मिशन के तहत सरकारी स्कॉलरशीप पर उड़ीसा के भुवनेश्वर स्थित राजधानी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहे थे.इनका नामांकन जुले 2014 में हुआ था.नामांकन के बाद से कॉलेज में फूडिंग और लॉजिंग दोनों का खर्च बिहार सरकार को वहन करना था.
लेकिन दलितों को हितैषी बताने वाली सरकार इन दलित छात्रों को ही भूल गयी और इन छात्रों के पढ़ाई और रहने – खाने के नाम पर कॉलेज के खाते में एक पैसा भी नहीं भेजा. लिहाजा कॉलेज प्रशासन ने इन छात्रों को फीस जमा करने की बात कहते हुए कॉलेज से निकाल दिया.छात्रों की माने तो राज्य सरकार इनके साथ बहुत बड़ा धोखाधड़ी का काम किया है.
इधर छात्र बिहार सरकार के रवैये से इस कदर मायूस हो गए है कि वे अब सामूहिक रूप से आत्महत्या की बात कह रहे है.छात्रों की माने तो उनकी पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं है कि कॉलेज की फ़ीस जमा करा सके और चौथे सेमेस्टर का फॉर्म भरना है.लेकिन कॉलेज प्रशासन ने फ़ीस नहीं जमा होने के कारण कॉलेज से निकाल दिया है.
महादलित छात्रों की इस मामले को लेकर जब जिला कल्याण पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पहले जिला स्तर पर ही इस पैसा को दिया जाता था.लेकिन अब विभाग राज्य स्तर पर भेजती है.उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 का पैसा भेजने का काम शुरू हो गया है.
बहरहाल, दलित , महादलित और पिछड़े वर्गों की राजनीति के बदौलत सत्ता पर पुनः एक बार और काबिज हुए नितीश कुमार की नज़ारे इनायत कब इन छात्रों के ऊपर होगी.यह तो समय बताएगा.लेकिन साथ-ही-साथ मार्च महीने में होने वाले चौथे सेमेस्टर के पहले इस मामले का हल नहीं हुआ तो छात्रों के भविष्य का क्या होगा.भगवान् ही मालिक है.
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