बिहार में अमित शाह ने बिछाई बिसात

Last Updated 17 Apr 2015 01:58:21 PM IST

शून्य जमा शून्य बराबर शून्य की थियोरी देने के बाद भाजपा के अमित शाह ने प्रदेश में लालू और नीतीश के महाविलय फार्मूले की काट के लिए शतरंजी गोटियां भी बिछा दी है.


अमित शाह (फाइल)

शाह ने विरोधी दलों को शह-मात देने के लिए मांझी के ‘पतवार’ का सहयोग लेने की रणनीति भी बनाई है. अमित शाह ने बिहार विधानसभा चुनाव पर फोकस करते हुए दिनभर प्रदेश के शीर्ष नेताओं से चर्चा की.

सूत्रों के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने विधानसभा चुनाव के बारे में होमवर्क किया. यहां तक कि किन-किन सीटों पर लालू और नीतीश के उम्मीदवारों से खतरा होगा उन सीटों पर भी गहराई से बात हुई.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो लालू और नीतीश को पटखनी देने के लिए जीतन राम मांझी के संगठन से गठजोड़ की रूपरेखा तय कर ली गई है. भाजपा नीतीश और लालू समेत छह पार्टियों के महाविलय को उन्हीं के हथियार से मात देगी.

शह मात के खेल में शाह

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के हितैषी और पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा ने राजधानी के राजकीय अतिथिशाला में भाजपा नेता अमित शाह से मुलाकात की. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए अमित शाह और नीतीश मिश्रा की मुलाकात काफी अहमियत रखती है.

पिछले दिनों नीतीश मिश्रा के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशांसा की थी. सूत्रों के अनुसार मांझी खेमे ने भाजपा से गठजोड़ में कम से कम 40 सीटों पर दावा ठोका है.

माना जा रहा है कि भाजपा मांझी के संगठन हम के लिए 40 सीटें छोड़ने पर राजी हो जाएगी. मांझी के करीबी नेता का कहना है कि उन्हें फिलहाल 18 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. ऐसे में 18 नेताओं के लिए तो विशुद्ध रूप से सीटें चाहिए. साथ ही पूरे प्रदेश को देखते हुए 40 सीटें कम ही हैं.

जदयू नेता नीतीश मिश्रा से बातचीत के बाद तुरंत अमित शाह ने भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी, नंद किशोर यादव और मंगल पाण्डेय से बातचीत की. माना जा रहा है कि मांझी संगठन से दोस्ताना संबंध तय हो गया है.

आने वाले समय में इसकी घोषणा कर दी जाएगी. भाजपा के सहयोगी दल लोजपा और रालोसपा भी जीतन राम मांझी के शुभचिंतक रहे हैं.

भाजपा में मांझी की राह आसान

इसलिए भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि मांझी को साथ लेने में उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा. भाजपा सूत्रों के अनुसार मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में सीट बंटवारा काफी अहमियत रखता है.

सीट बंटवारे का लेकर दिल्ली में ही रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा और उपेन्द्र प्रसाद कुशवाहा के नेतृत्व वाली रालोसपा से चर्चा होगी. यह तय है कि भाजपा सहयोगी दलों को साथ लेकर चलेगी.

अमित शाह ने पार्टी नेता डॉ. सीपी ठाकुर, रामकृपाल यादव और गिरिराज सिंह से भी चर्चा की. प्रमुख दलों के मत प्रतिशत को लेकर भी समीकरण बनाए गए.

मालूम हो कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने विरोधी दलों को धो डाला था. भाजपा ने दावा किया है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 172 सीटों पर बढ़त मिली थी.

गणित शुरू

लिहाजा भाजपा ने 175 से बढ़कर 185 सीटों का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है. पिछले लोकसभा चुनाव यानी कि वर्ष 2009 में जदयू को 24.04 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे, जबकि उस समय उसके सहयोगी रहे भाजपा को 13.93 प्रतिशत वोट ही मिले थे.

वर्ष 2009 के चुनाव में जदयू ने अपने हिस्से आई 25 सीटों में 20 तथा भाजपा ने 15 सीटों में 12 सीटों पर जीत हासिल की थी. कांग्रेस ने 37 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और उसके दो उम्मीदवार जीतकर संसद पहुंचे थे.

कांग्रेस को 10.26 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे. लालू प्रसाद की अगुवाई वाले राजद ने 28 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, जिसमें मात्र 4 उम्मीदवार ही जीत कर कर आए. वर्ष 2009 के चुनाव में सीपीएम, सीपीआई, एनसीपी और लोजपा के एक भी उम्मीदवार को जीत हासिल नहीं हुई थी.

वर्ष 2009 के चुनाव में लोजपा को 6.55 प्रतिशत, एनसीपी को 1.22 प्रतिशत, सीपीएम को 0.51 प्रतिशत और सीपीआई को 1.4 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे.

संजय त्रिपाठी


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment