ब्लैक करने को नहीं देंगे अनाज

Last Updated 22 Mar 2015 06:26:22 AM IST

केन्द्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामलों व सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने राज्य सरकार को चेतावनी भरे स्वर में साफ साफ कहा है कि कालाबाजार में बेचने के लिए अनाज नहीं दिया जाएगा.


कड़ा रुख : शनिवार को राजधानी में संवाददाताओं से बात करते केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान.

राज्य सरकार 100 फीसद अनाज का उठाव कर रही है लेकिन गरीबों के घर पहुंचने के बजाय अनाज बाजार में पहुंचाए जा रहे हैं.

केन्द्रीय मंत्री पासवान ने शनिवार को यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में कुल लाभार्थियों की संख्या 8 करोड़ 71 हजार है. केन्द्र सरकार को जो सूची भेजी गई है वह मात्र 7 करोड़ 60 लाख लाभार्थियों की है. एक करोड़ 11 लाख लोगों की सूची अब तक नहीं पहुंची है. हमने तो राज्य सरकार से साफ कहा कि छोड़िए एनआईसी को, आप सीधे सूची भेज दीजिए, हम उनका अनाज भेजवा देंगे. फिर भी सूची नहीं मिल रही है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सूची उपलब्ध नहीं कराए जाने के बावजूद केंद्र सरकार आगामी 31 मार्च के बाद भी अनाज की आपूर्ति बंद नहीं करेगी.

उन्होंने कहा कि जो बातें सामने आ रही हैं उसमें यह कहा जा रहा है कि जो सूची एनआईसी को दी गयी है उनमें 25 प्रतिशत नाम तो ऐसे हैं जिनमें परिवार के मुखिया का ही जिक्र नहीं है. पासवान ने कहा कि बिहार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदने के लिए एक विकेन्द्रीकृत अधिप्राप्ति प्रदेश है जिसमें किसानों से सरकारी खरीद का काम राज्य सरकार द्वारा खुद किया जाता है. राज्य में जन वितरण प्रणाली तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए इस साल कुल 53 लाख टन अनाज की आवश्यकता है जिसमें चावल 34 लाख टन व गेहूं 19 लाख टन है.

उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष बिहार में गेहूं का उत्पादन लगभग 61.95 लाख टन था लेकिन उसके विरुद्ध गेहूं की सरकारी खरीद शून्य थी. इसी तरह गत वर्ष राज्य में धान का उत्पादन लगभग 135.82 लाख टन था जबकि सरकारी खरीद 14.06 लाख टन के करीब ही थी. चालू वर्ष 2014-15 में राज्य सरकार द्वारा 300 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने के बावजूद अभी तक केवल 14.60 लाख मैट्रिक टन खरीफ की ही खरीद हो पायी है.

उन्होंने कहा कि निर्धारित लक्ष्य 30 लाख मैट्रिक टन का है और अब अधिप्राप्ति के लिए केवल 10 दिन शेष है. केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि धान खरीद की अंतिम तिथि इस वर्ष के लिए 31 जनवरी तय थी लेकिन राज्य सरकार के अनुरोध पर पहले 25 फरवरी की गयी और इसके बाद फिर 31 मार्च तक अवधि विस्तार दी गयी है. बिहार में धान की कटाई दिसम्बर/जनवरी तक समाप्त हो जाती है और ऐसी स्थिति में देरी से धान की खरीद की शुरुआत तथा बार-बार अवधि विस्तार के कारण किसानों तक न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं पहुंच पाता है. इससे बिचौलियों के मुनाफाखोरी की संभावना बढ़ जाती है.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मामले में अभी तक पूरी तरह से उदासीन रही है. हालांकि एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत किसी का भी अनाज रोकने के पक्ष में नहीं है मगर राज्य सरकार को यह सुनिश्चित तो करना चाहिए कि गरीब घरों तक अनाज कैसे पहुंचे. हालांकि बहुत पहले से तय है कि जो राज्य इस अधिनियम में आना चाहते हैं उन्हें लाभार्थियों की सूची बनानी है. जितने राशन के दुकान हैं उन्हें ऑनलाइन करें लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया है. 

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इन सब समस्याओं के समाधान के लिए अगले माह संभवत: 17 या 18 अप्रैल को (श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल खाली रहा तो) या किसी अन्य तिथि को विभाग एक  कार्यक्रम करने जा रहा है जिसमें सभी सांसदों को बुलाया जाएगा. इसमें खाद्य आपूर्ति से जुड़े केन्द्र व राज्य के पदाधिकारियों, राशन दुकानों तथा लाभार्थियों को भी बुलाया जाएगा. इस मौके पर पासवान ने राजनीतिक कार्यक्रमों की घोषणा करते हुए कहा कि 27 मार्च को कार्यकर्ताओं की रैली की जाएगी तथा 6 अप्रैल को वाराणसी में दलित सम्मेलन करने जा रहे हैं.



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