दीघा से कलेक्ट्रेट तक नहर बना गंगा को लाएं
पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को दीघा से कलेक्ट्रेट घाट तक नहर बनाकर दूर हुई गंगा को शहर के पास लाने को कहा है.
कोर्ट की पहल पर अगर सरकार ने कदम उठाया तो कुछ ऐसी होगी पटना के सूखे पड़े गंगा घाटों की तस्वीर. |
मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी और न्यायमूर्ति विकास जैन की पीठ ने सरकार को यह निर्देश मंगलवार को जिलाधिकारी की एक रिपोर्ट को जनहित याचिका मानते हुए दिया.
रिपोर्ट में गंगा की बदहाली के बारे में बताया गया था. पीठ ने कोचीन, मदुरई व हरिद्वार का उदाहरण दिया, जहां नदियों को बेहतर किया गया है और घाटों पर लोग आसानी से जा सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि यदि यहां भी इस तरह का काम किया जाये, तो यह इलाका एक अच्छे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा और लोगों को छठ जैसे महापर्व में स्नान व पूजा-अर्चना के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा. न्यायालय ने सरकार से इस योजना पर गंभीरता से विचार कर फलीभूत करने को कहा है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि योजना के सफल होने पर नहर में फेरी चलाने से सरकार को आय की भी प्राप्ति होगी और जनता की वाहवाही भी मिलेगी. खनन विभाग के प्रधान सचिव व प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत से कहा कि सरकार ने वर्ष 2005 में ही ऐसी योजना बनायी थी. इस कार्य को अमलीजामा पहनाने के लिए बड़े-बड़े टाउन प्लानर से राय भी मांगी गयी थी पर उस समय बाढ़ आ गयी, नतीजतन फिर कोई काम नहीं हो सका. इस मुद्दे पर फिर दो दिनों में बैठक होनी है जिसमें योजना को फलीभूत करने पर विचार किया जायेगा.
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी और न्यायमूर्ति विकास जैन की पीठ ने सरकार से कहा कि गंगा देश की बड़ी नदी है और उसमें काफी ऐतिहासिक बातें समाहित हैं. नहर बना दिये जाने से जहां बालू की निकासी आसानी से होगी वहीं भूमि माफियाओं का गंगा की जमीन पर कब्जा नहीं होगा. इसके अलावा शहर का गंदा पानी भी मुख्य नदी में नहीं जा पायेगा.
न्यायालय ने वहां मौजूद इनलैंड वाटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सचिव व निदेशक को कागज पर नक्शा बनाकर समझाया और इस पर जल्द ही गंभीरता से काम करने को कहा. कोर्ट ने कहा कि कोचीन में तो नहर किनारे यातायात की भी व्यवस्था है. यदि पटना में गंगा नदी में नहर बनाकर फेरी की व्यवस्था कर दी जाये और खाली जमीन का सौंदर्यीकरण कर दिया जाये, तो पटना काफी सुंदर हो जायेगा.
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