बिहार की आधी से ज्यादा आबादी के पास न जमीन न छत

Last Updated 25 Nov 2014 03:21:13 PM IST

बिहार में साठ फीसदी लोगों के पास जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं है और 64 फीसदी लोग काम के लिए मोहताज हैं.


मजदूर

बिहार में विकास और सुशासन के तमाम दावों के बीच गरीबी और बदहाली इसलिए है. क्योंकि 60 प्रतिशत लोगों के पास जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं है और केवल 40 प्रतिशत लोगों को ही मनरेगा का जाब कार्ड बना है और इसमें 64 प्रतिशत लोगों को एक दिन का काम भी नहीं मिला है.
       
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने पिछले दिनों बिहार में गांव का सच लोगों का हक नामक अपने सर्वेक्षण में राज्य में आम लोगों की बदहाली का यह कारण बताया है.
       
सर्वे के अनुसार राज्य के 23 जिलों में जुलाई से सितंबर के बीच 200 जन सुनवाई के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि विकास कार्य के तमाम प्रचार और दावों के बावजूद 47.08 प्रतिशत गरीब लोगों ने पलायन भी किया है. आंकडे बताते है कि पलायन रूका नहीं है.
       
रिपोर्ट के अनुसार 27.23 प्रतिशत लोगों का मनरेगा कार्ड गांव के मुखिया के पास बंधक बना हुआ है. जबकि 15.20 प्रतिशत लोगों को एक से सात दिन और 11.68 प्रतिशत लोगों से 8 से 15 दिन का ही काम मिला है.
       
रिपोर्ट के अनुसार जमीनी हकीकत यह है कि गांवों में 8.39 प्रतिशत लोगों के पास ही शौचालया है एवं 15.4 प्रतिशत लोगों को बिजली मिली है. 45.69 प्रतिशत गरीब लोग बीपीएल की सूची से बाहर है जबकि वे इसके हकदार है.

23.07 प्रतिशत लोगों के नाम मतदाता सूची में नहीं है. 62.07 प्रतिशत लोग प्रखंडों के 826 पंचायतों में 2 लाख 106 ग्रामीण परिवारों और शहरों के 45 वार्ड के 6634 परिवारों के सर्वेक्षण रिपोर्ट में ये आंकडे पेश किए हैं.
       
पार्टी ने यह सर्वेक्षण 44.69 प्रतिशत दलित महादलित परिवारों 24.31 प्रतिशत अतिपिछड़ा 15.76 प्रतिशत पिछड़ा एवं 11.45 प्रतिशत अल्पसंख्यक परिवारों में यह सर्वेक्षण किया है.






Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment