गुमशुदा बच्चों का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को लताड़ा
उच्चतम न्यायालय ने गुमशुदा बच्चों का पता लगाने में विफल रहने और ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर बृहस्पतिवार को बिहार और छत्तीसगढ़ सरकार को आड़े हाथ लिया.
गुमशुदा बच्चों का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को लताड़ा |
प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकारों की निष्क्रियता पर नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा कि उनके इस रवैये के कारण ऐसे बच्चों के माता पिता परेशान हो रहे हैं.
इन दो राज्यों द्वारा दाखिल प्रगति रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त करते हुये न्यायालय ने उन्हें नयी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार को राज्यसभा और शीर्ष अदालत में इस मामले में अलग अलग आंकड़े देने पर भी फटकार लगायी. न्यायाधीशों ने इस मामले की सुनवाई 13 नवम्बर के लिए स्थगित करते हुये कहा, ‘यदि राज्यसभा और हमारे सामने दिये गये बयानों में गलती हुयी तो फिर आप ही परेशानी में पड़ेंगे.’
बिहार की ओर से सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि पिछले एक साल में राज्य में गुमशुदा बच्चों के 2874 मामले दर्ज किये गये जबकि 2241 बच्चों का पता लगाया गया. उन्होंने कहा कि अभी भी 633 बच्चे लापता हैं. न्यायालय ने प्रगति रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद टिप्पणी की कि सिर्फ 40 फीसदी मामलों में ही प्राथमिकी दर्ज हुयी है और 20 फीसदी बच्चे अभी भी लापता हैं.
न्यायालय ने छत्तीसगढ की रिपोर्ट के अवलोकन करने पर पाया कि राज्य सरकार ने करीब 9500 लापता बच्चों के मामलों का जिक्र किया है जबकि संसद में उसने करीब 11500 बच्चों का आंकड़ा दिया था. शीर्ष अदालत के 16 अक्तूबर के आदेश पर अमल करते हुये बिहार और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक न्यायालय में मौजूद थे.
न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन बचपन बचाओ आन्दोलन की याचिका पर सुनवाई के दौरान सभी राज्यों को सख्त संदेश देते हुये कहा था कि इस मसले को ‘तमाशा’ न बनाया जाये और ऐसी घटनाओं से निबटने के लिये प्रभावी कार्रवाई की जाये. न्यायालय ने इस संगठन की जनहित याचिका पर कई निर्देश जारी किये थे.
इस संगठन का आरोप था कि जनवरी 2008 से 2010 के दौरान देश में एक लाख 70 हजार से भी अधिक बच्चे लापता हुये जिनमें से अधिकांश का देह व्यापार और बाल मजदूरी के लिये अपहरण किया गया था. न्यायालय ने निर्देश दिया था कि पुलिस को बच्चे की गुमशुदगी के बारे में सूचना मिलते ही ऐसे मामले में प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए और ऐसे बच्चों की तस्वीर ‘चाइल्ड ट्रैक’ वेबसाइट पर अपलोड की जानी चाहिए. न्यायालय ने देश के प्रत्येक थाने में किशोर कल्याण अधिकारी नियुक्त करने का भी निर्देश दिया था.
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