दो घंटे की बारिश से पटना डूबा, जनजीवन अस्तव्यस्त

Last Updated 20 Sep 2014 04:59:41 AM IST

शुक्रवार की शाम महज दो घंटे की मूसलधार बारिश ने राजधानी को तो एक बार फिर डुबोया ही, यहां के बाशिंदों को भी डरा दिया.


बिहारी साव लेन में शुक्रवार की शाम अपनी बाइक को इस तरह ले जाता सवार.

झमाझम बारिश से नगर निगम के दावों की कलई खुल गयी और जल निकासी के सारे फामरूले भी पानी में ही बह गये. मैनहोल व नालियों के जाम होने से शहर की लगभग सभी सड़कें समंदर बन गयीं.

बारिश से रेल परिचालन पर सबसे बुरा असर पड़ा. रेल ट्रैक पर पानी जमा होने से पटना जंक्शन का सिग्नल सिस्टम (आरआरआई) खराब हो गया. इससे यहां से खुलने वाली तथा पटना की ओर आने वाली गाड़ियां जहां की तहां फंस गई. इससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. खबर लिखे जाने तक स्थिति गंभीर बनी हुई थी तथा गाड़ियों को मैनुअल तरीके से निकाला जा रहा था. मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बारिश ने शुक्रवार को राजधानी में अबतक का रिकॉर्ड तोड़ दिया.

सुबह 8.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक राजधानी में महज 10.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी लेकिन शाम 5.30 बजे से 7.30 के बीच लगभग 50 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई. हालांकि मौसम विभाग का कहना था कि यह बारिश कुछ ही घंटे में थम जाएगी तथा अगले दिन से मौसम फिर साफ हो जाएगा. प्राप्त जानकारी के अनुसार पटना जंक्शन की ओर आने वाली कई गाड़ियां रास्ते में ही फंस गयीं तथा देर रात तक जहां की तहां फंसी रहीं. इससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक 12401 मगध एक्सप्रेस चार घंटे, राजधानी 1.17 घंटे, 13007 तूफान एक्सप्रेस दो घंटे, 12569 जयनगर गरीब रथ दो घंटे, 12791 सकिंदराबाद एक्सप्रेस दो घंटे, 13288 साउथ बिहार एक्सप्रेस एक घंटे, 13331 धनबाद पटना एक्सप्रेस चार घंटे, 63218 दानापुर मोकामा 2.30 घंटे, 14056 ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस 6.30 घंटे, 13233 राजगीर दानापुर इंटरसिटी 3.45 घंटे,13225 दरभंगा दानापुर इंटरसिटी दो घंटे देर से खुली. इसके अलावा पटना की ओर आने वाली तथा यहां से बाहर जाने वाली सभी गाड़ियों की भी यही स्थिति रही. कई पैसेंजर गाड़ियों को तो रद्द करना पड़ा.

बाकी गाड़ियों का परिचालन भी घंटों देर से हुआ. खबर लिखे जाने तक स्थिति बेहद खराब थी तथा सिग्नलिंग सिस्टम (आरआरआई) खराब रहने की वजह से सिग्नल स्थायी रूप से लाल हो गया था. नतीजतन मैनुअल तरीके से ट्रेनों का परिचालन कराया जा रहा था. मौसम विभाग, पटना केन्द्र के निदेशक आशीष कुमार सेन ने बताया कि यह बारिश मानसूनी प्रभाव की वजह से नहीं हुई बल्कि यह स्थानीय तड़ित वृष्टि है.

उन्होंने बताया कि अमूमन जून-जुलाई में जब मानसून प्रवेश कर रहा होता है तथा सितम्बर अक्टूबर में जब मानसून बाहर निकल रहा होता है तब कहीं-कहीं ऐसी क्षेत्रीय बारिश होती है. इसका स्वरूप स्थानीय होता है तथा कुछ घंटे के बाद बारिश समाप्त हो जाती है. उन्होंने बताया कि शुक्रवार की शाम हुई बारिश भी इसी प्रकृति की थी. इसी वजह से सिर्फ पटना में ही बारिश हुई जबकि आसपास के इलाकों में इसका प्रभाव न के बराबर देखा गया.



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