'खिलवाड़ के लिए नहीं महिला की देह'
एक महिला का शरीर पुरुष के लिए खिलवाड़ करने के लिए नहीं है. वह प्यार करने के नाम पर महिला को मूर्ख बनाकर उससे अपनी शारीरिक भूख नहीं मिटा सकता है.
पटना उच्च न्यायालय |
ऐसा करने वाला पुरुष बलात्कार करने का दोषी है.
शीर्ष अदालत की उक्त पंक्ति को उद्धृत करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने शादी का झांसा देकर बलात्कार करने के आरोपित करण कमल की जमानत याचिका सोमवार को निरस्त कर दी. न्यायमूर्ति ने कहा कि शारीरिक संबंध स्थापित करने के समय लड़की नाबालिग थी. उससे शादी का नाटक कर शारीरिक संबंध स्थापित किया गया.
शादी भी मंदिर में की गयी जिसकी कानूनी मान्यता नहीं है. कोर्ट मैरिज नहीं की गयी है. अभियुक्त की जमानत याचिका का विरोध करते हुए पीड़ित लड़की के अधिवक्ता दीपक कुमार सिन्हा ने न्यायालय से कहा कि लड़की आठवीं क्लास की छात्रा थी. उसे प्यार का नाटक कर दिल्ली ले जाया गया और उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया गया.
लड़की ने जब कोर्ट मैरिज की बात की तो उससे प्यार करने को कहते हुए अभियुक्त ने मंदिर में शादी कर ली. गर्भवती होने पर लड़की से झूठ बोलकर उसका गर्भपात करा दिया और बाद में शादी से भी इनकार कर दिया. ससुराल में उसे बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता था.
दलील सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि शादी के बहाने आपसी समझौते से शारीरिक संबंध बनाना गलत है और यह बलात्कार की श्रेणी में आता है. इस मामले में कानूनी रूप से शादी भी नहीं की गयी है. याचिकाकर्ता व अभियुक्त बलात्कार का आरोपित है और उसे जमानत नहीं दी जा सकती है.
वह 24 मई, 2013 से ही न्यायिक हिरासत में है. अभियुक्त अक्टूबर, 2010 में युवती को भगाकर दिल्ली ले गया था और उसे अपने पास रखा था. एक साल के बाद उसने लड़की को मायके में छोड़ दिया था. बाद में गांव वालों के दबाव में लड़के ने लड़की को अपने यहां रख तो लिया लेकिन उसे प्रताड़ित किया जाने लगा.
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